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कैसे पढ़ेगा गुजरात? सरकारी स्कूलों को बंद करने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने किया हंगामा

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हितेश चावड़ा, गांधीनगर : गुजरात सरकार द्वारा 6 हजार स्कूलों को बंद करने के फैसले के बाद जहां कांग्रेस ने बुधवार को राज्यपाल आचार्य देवब्रत से कई मामलों में हस्तक्षेप की मांग की. वहीं कांग्रेस नेताओं ने आज राजधानी गांधीनगर में जमकर हंगामा किया और सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिन स्कूलों को बंद करने का फैसला किया गया है उसमें से ज्यादातर आदिवासी इलाकों में मौजूद हैं. ऐसे में पहले से ही इन इलाकों में स्कूलों की कमी पाई जा रही थी. अब अगर 6 हजार स्कूलों को बंद किया गया तो इससे बच्चों का भविष्य खराब होगा. इस मामले को लेकर कांग्रेस नेता अनंत पटेल ने कहा कि सरकार अगर अपना फैसला जल्द वापस नहीं लेती तो आने वाले दिनों में उग्र आंदोलन किया जाएगा.

राज्य सरकार जहां एक तरफ शिक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कर रही है. वहीं दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों के गुणवत्ता को सुधारे जाने की बात की जा रही है. लेकिन इन सभी से बिल्कुल हटकर अब 6हजार स्कूलों को बंद करने का फैसला कर रही है. जिससे ग्रामीण और आदिवासी इलाके में रहने वाले बच्चों को भारी परेशानी होने की उम्मीद जताई जा रही है.

इस मामले को लेकर नवसारी जिला के चिखली विधानसभा सीट के कांग्रेसी विधायक अनंत पटेल ने कहा कि शिक्षा हमारा अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे.इस सिलसिले में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार ने जो फैसला लिया है वह गलत है इस फैसले से हमारे जिला में मौजूद 159 स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा. इसलिए हमारी मांग है कि हमारे बच्चों को गांव में शिक्षा मुहैया करवाई जाए. और ये हमारा अधिकार है

उन्होंने कहा कि सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती तो आने वाले दिनों में आदिवासी विस्तार के विधयक इस मामले को लेकर एक मीटींग का आयोजन कर गांधीनगर में बड़े आंदोलन का मंसूबा बनाया जाएगा. इतना ही नहीं उन्होंने कहा इस मामले को आने वाले विधानसभा सत्र के दौरान भी उठाया जाएगा.

गौरतलब हो कि गुजरात सरकार ने 15 नवम्बर को ऐलान किया था कि 30 छात्रों से कम संख्या वाली 6 हजार स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा. ऐसे में सवाल ये उठता है कि गुजरात सरकार सिर्फ शाला प्रवेशोत्सव और गुणोत्सव कर बड़े-बड़े दावे करने के बजाय सरकारी स्कूलों के गुणवत्ता को बेहतर बनाती तो आज गरीब बच्चे मजबूरी में भारी भरकम फीस जमा कर प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करने के लिए मजबूर ना होते.

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