हितेश चावड़ा, गांधीनगर: दिल्ली में मौजूद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में फीस बढ़ाने को लेकर पिछले दिनों विवाद हुआ था, उस दौरान ऐसा कहा जा रहा था कि थोड़ा फीस बढ़ा देने से क्या फर्क पड़ेगा. इतना ही नहीं फीस वृद्धि को लेकर जब छात्रों ने हंगामा किया तो इन छात्रों को असामाजिक तत्व करार देते हुए देश में अराजकता पैदा करने का भी आरोप लगाया गया. सस्ती शिक्षा देश के लिए कितनी जरूरी है इसका एक ताजा उदाहरण गुजरात की राजधानी गांधीनगर से सामने आया है, जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12-12 सालों तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं. पूरे देश को विकास के मॉडल का आईना दिखाने वाले गुजरात के गांधीनगर में एक छोटे सी दुकानदार की लड़की को स्कूल फीस भरने के लिए पैसा नहीं, लेकिन पिता अपनी बच्ची के सपने को मारना नहीं चाहता वह उस सपने को पूरा करने के लिए ब्याज पर पैसा लेकर उसकी आगे की पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया है. लेकिन डेंटल कॉलेज की भारी भरकम फीस इस बेसहारा पिता की पहुंच से कहीं ज्यादा है.
मामला है अहमदाबाद महानगर पालिका मेडिकल ट्रस्ट की डेंटल कॉलेज में पढ़ने वाली एक बच्ची की. जिसके पिता ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ के नारे से प्रेरित अमरीश भाई पनारा ने घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद अपनी बेटी को उच्च शिक्षा के साथ ही साथ बेहतर भविष्य देने का फैसला किया है.
अमरीश भाई पनारा अपनी बेटी को पढ़ाने और उच्च शिक्षा देने के लिए लंबे समय से गांधीनगर में बस गए हैं. वह पिछले 22 वर्षों से अपनी बेटी के साथ गांधीनगर में किराए के मकान में रहकर बेटी को अच्छी शिक्षा देने के मकसद को लेकर कड़ी मेहनत कर रहे हैं. उनके लिए खुद का घर होना मात्र एक सपना बन गया है क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी की सारी जमा पूंजी अपनी बेटी की फीस चुकाने में खर्च कर चुके हैं. अमरीश भाई सख्त मेहनत कर अपनी लड़की को सरकार के नेतृत्व में चलने वाली अहमदाबाद नगर निगम की डेंटल कॉलेज में बीडीएस में 2019 एडमिशन दिलवाया था. लेकिन अब घर की स्थिति और महंगाई की मार ने अमरीश की इस हद तक कमर तोड़ दिया है कि वह उच्च ब्याज दर पर पैसे उधार लेकर अपनी लड़की की पढ़ाई के सपने को पूरा कर रहा है. लेकिन पांच साल तक हर साल 5.27 लाख की भारी भरकम फीस उसके लिए कई परेशानियां खड़ी कर रही हैं. लगातार मेहनत कर इतना पैसा कमाने की हर संभव कोशिश के बाद अब अमरीश असहाय हो गया है.
गुजरात की राजधानी गांधीनगर में अपने 4 सदस्यों के साथ रहने वाले अमरीश पनारा तो खुद 11वीं कक्षा पास हैं. गांधीनगर में एक छोटी सी दुकान चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. लेकिन दुकान चलाने के बाद भी इतनी आदमनी नहीं हो पाती कि उनका परिवार दो वक्त सकून की रोटी खा सके. बावजूद इसके पनेरा हिम्मत हारने के बजाय अपनी बेटी को उच्च शिक्षा देने के लिए प्रायसरत हैं. उन्होंने बच्ची को डॉक्टर के रुप में देखने के लिए डेंटल कॉलेज में बीडीएस करने के लिए एडमीशन करवाया है.
तमाम परिस्थितियों से दो चार होकर अमरीश पनारा ने मुख्यमंत्री विजय रूपानी से अनुरोध करते हुए एक पत्र लिखा है ” उन्होंने कहा कि अत्यधिक प्रतिस्पर्धा और मंदी की वजह से आर्थिक बेरोजगारी से पीड़ित है, अगर मुझे अपनी बेटी की फीस के बारे में राज्य की कोई योजना या अनुदान प्राप्त हो जिससे फीस माफ हो जाए, तो मैं अपनी बेटी को पढ़ा सकता हूं, और पुत्री की जिंदगी को अंधकारमय होने से बचा सकता हूं.”
गुजरात एक्सक्लूजिव के साथ से बातचीत करते हुए पनारा कहते हैं कि, “मैं लड़की को अच्छी शिक्षा देने के लिए एक छोटी सी दुकान पर कपड़े बेचने का काम करता हूं, किराए के घर में रहने के बावजूद भी हिम्मत नहीं हारी, कुछ भी करुंगा, लेकिन बेटी को पढ़ाऊंगा, उसकी फीस भरुंगा ”
फौरन फीस भरने के लिए AMC कॉलेज की ओर से अमरीश पनार को अब तक 4 नोटिस मिल चुका. अगर वह पूरा फीस नहीं भरते हैं तो उन्हें प्रतिदिन 250 रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा.
गुजरात सरकार विकास का दावा करने के बाद नया स्लोगन दिया है ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ लेकिन सरकार के इस दावे की पोल अमरीश पनारा खोल रहे हैं. जो अपनी बच्ची को अच्छी शिक्षा और बेहतर भविष्य देने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं लेकिन फीस का कद इतना बड़ा हो चुका है जो उनकी पहुंच से काफी दूर होता जा रहा है.
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