कोरोना महामारी की स्थिति में दर्ज की जाने वाली सुधार के बाद सरकारों ने लॉकडाउन में ढील दी है. जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की मांग में तेजी आई है. सोमवार को कच्चे तेल की कीमतें तीन साल के अपने सबसे उच्च स्तर 80 डॉलर के करीब पहुंच गईं. हाल ही में मामूली गिरावट के बाद कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि की वजह से भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को एक बार फिर भारी वृद्धि हो सकती है.
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों की वजह से आने वाले त्योहारी सीजन में महंगाई भी बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. बढ़ती महंगाई की वजह से मुद्रास्फीति भी बढ़ेगी, जिसके बाद अन्य वस्तुओं की कीमतों में तेज से वृद्धि दर्ज की जाएगी. कच्चे तेल की कीमतों में होने वाली भारी वृद्धि का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीधे तौर पर पड़ने की संभावना जताई जा रही है.
विश्व बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई है. वैश्विक रिसर्च फर्म गोल्डमैन सैक्स ने कच्चे तेल का दाम साल के अंत तक 90 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने का अनुमान लगाया है. फर्म का कहना है कि कच्चे तेल की मांग तेजी से बढ़ी है.
आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमत में कमी की कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि दुनियाभर में टीकाकरण की रफ्तार तेज होने से कच्चे तेल की मांग बढ़ी है. इतना ही नहीं मांग बढ़ने की वजह से आपूर्ति में दिक्कत आ रही है. जिसकी वजह से वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में आज ढाई फीसदी का उछाल आया है. ब्रेंट क्रूड आज 79.83 के अपने सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया जबकि न्यूयॉर्क क्रूड 76 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है.
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