पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच होने वाली हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया है. भारतीय सैनिकों के 20 सैनिकों के शहादत से पूरे देश में गुस्से का माहौल देखने को मिल रही है. देश भर में व्यापारी से लेकर आम आदमी तक चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं, इस बीच भारत सरकार भी चीन की आर्थिक कमर तोड़ने के लिए हर दिन नए कदम उठा रही है. अब केंद्र सरकार चीनी बिजली उपकरणों के आयात पर रोक लगाने का प्लान बना रही है.
इतना ही नहीं इसके अलावा भारत सरकार चीनी बिजली उपकरणों के आयात पर रोक लगाने के साथ ही साथ मेड इन इंडिया के बिजली उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी देने पर भी विचार कर रही है. ऊर्जा मंत्री राज कुमार सिंह ने कहा कि किसी भी उपकरण को आयात करने से पहले सरकार की अनुमति की आवश्यकता होगी.
खासतौर से बिजली क्षेत्र में चीनी उपकरणों के उपयोग पर लगाम लगाने के लिए नीतियां बनाई गई हैं. ताकि चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया जा सके. ये नीतियां पारंपरिक और हरित ऊर्जा क्षेत्र दोनों में बिजली उत्पादन, वितरण और ट्रांसमिशन परियोजनाओं पर लागू होंगी. गौरतलब है कि बिजली उपकरण जैसे ट्रांसमिशन लाइन टावरों, कंडक्टरों, औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, कैपेसिटर, ट्रांसफॉर्मर, केबल और इंसुलेटर और फिटिंग्स का भारतीय बाजार में दबदबा है.
गौरतलब हो कि बीएसएनएल ने चीन को उसी की भाषा में जवाब देने का आगाज कर चुका है. उसके बाद भारतीय रेलवे ने भी चीन को बड़ा झटका दिया था. फिर महाराष्ट्र सरकार ने भी चीन की तीन बड़ी कंपनियों को बड़ा झटका दिया. महाराष्ट्र सरकार के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि राज्य में चीनी कंपनियों के 5000 करोड़ रुपए के निवेश पर रोक लगा दी है. ये फैसला केंद्र सरकार से बातचीत के बाद लिया गया है. सीमा पर हुए खूनी झड़प के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चीनी कंपनियों के साथ फिलहाल किसी प्रकार का एग्रीमेंट ना किया जाए.
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