भारत सरकार द्वारा गुजरात में स्थित सखी केंद्र के नाम से लोकप्रिय वन स्टॉप सेंटर (ओएसपी) के लिए स्वीकृत फंड में पिछले पांच वर्षों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. गुजरात में स्थित सखी केंद्रों के लिए 2015-16 में स्वीकृत फंड 45.88 लाख रुपये थी जो 2019-20 में बढ़कर 6.79 करोड़ रुपये हो गई है.
पिछले पांच वर्षों में केंद्र ने राज्य के ओएससी के लिए 14.54 रुपये का फंड जारी किया है. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने यह जानकारी सांसद परिमल नाथवाणी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में राज्य सभा में गुरुवार (19 मार्च) को दी.
मंत्री के अनुसार, 1 अप्रैल 2015 से निर्भया फंड के तहत वन स्टॉप सेंटर योजना कार्यान्वित किया जा रहा है. मौजूदा समय तक भारत सरकार द्वारा देश भर के 724 जिलों में 728 ओएससी को मंजूरी दे जा चुकी है और उनमें से 680 अभी कार्यशील हैं. इनमें से 33 ओएससी गुजरात में हैं और कुल दर्ज मामलों की संख्या 6133 है. सदन में उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, केंद्र ने ओएसी के लिए 2015-16 में 45,88,047 रुपये, 2016-17 में 38,82,900 रुपये, 2017-18 में 1,27,15,269 रुपये, 2018-19 में 5,62,69,778 रुपये और 2019-20 में 6,79,51,666 रुपये फंड के लिए जारी किए.
दरअसल नाथवाणी ने जानना चाहते थे कि क्या सरकार ने हिंसा से प्रभावित महिलाओं की सहायता के लिए ओएससी (सखी केंद्र) की स्थापना के लिए सरकार द्वारा कितना खर्च किया गया और देश में उनमोदित, स्थापित और चालू ओएससी की संख्या और उसका ब्योरा क्या है.
मंत्री यह भी कहा कि ये सखी केंद्र हिंसा से प्रभावित महिलाओं को चिकित्सा सहायता, पुलिस सुविधा, मनोवैज्ञानिक परामर्श, कानूनी परामर्श और अस्थायी आश्रय सहित एक ही छत के नीचे एकीकृत सेवाएं प्रदान करती है. ये ओएससी या तो नवनिर्मित भवनों में या पहले से मौजूद भवनों में या अस्पतालों या चिकित्सा सुविधाओं के 2 किलोमीटर के दायरे में स्थापित किए जाने हैं. बयान में कहा गया कि देश में कुल 680 ओएससी चालू हैं और कुल 2,55,852 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 6133 मामले गुजरात के 33 ओएससी में दर्ज हुए हैं.
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