भारत और चीन सीमा पर बढ़े तनाव को कम करने के लिए राजी हो गए हैं लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन की हरकत पर कड़ा विरोध जताया है. बुधवार को भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प और सीमा विवाद को लेकर बातचीत हुई है. जानकारी के मुताबिक भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत-चीन सीमा विवाद पर चर्चा की और ऐसी खबर है कि दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव कम करने पर सहमति बनी है.
वहीं भारत ने चीन की हरकत को लेकर अपना कड़ा विरोध जताया है. विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि चीन की वजह से गलवान घाटी में हिंसा हुई. चीन ने हमारी सीमा में टेंट गाड़ने की कोशिश की. उधर चीन के विदेश मंत्रालय का इस बातचीत के बाद बयान आया है कि सीमा पर तनाव कम करने के लिए दोनों देश के बीच आपसी सहमति बनी है. ये खबर चीन की तरफ से आई है कि भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच फोन पर बातचीत हुई है. दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि भारत-चीन के बीच सैन्य लैवल की जो बैठकें अब तक हुई हैं उनमें हुई चर्चा के आधार पर आगे बढ़ा जाए.
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि गलवान में जो हुआ वह चीन द्वारा पूर्व नियोजित और योजनाबद्ध कार्रवाई थी जो घटनाओं के लिए जिम्मेदार है. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि गलवान में जो हुआ वह चीन द्वारा पूर्व नियोजित और योजनाबद्ध कार्रवाई थी जो घटनाओं के अनुक्रम के लिए जिम्मेदार है. विदेश मंत्री एस.जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर फोन पर बात की है, दोनों देश सीमा पर तनाव कम करने को लेकर सहमत हुए हैं.
मालूम हो कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीनी सैनिकों के दौरान दोनों देशों के कई जवान हताहत हुए थे. भारत के जहां 20 जवान शहीद हुए तो वहीं इस झड़प में 50 के करीब चीनी सैनिकों के भी मारे जाने की खबर है. उधर सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना प्रमुखों (सेना, नौसेना और वायु सेना) और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के साथ बैठक की है. उन्होंने मौजूदा स्थिति पर भी विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी बात की है.
उधर भारत के शहीद जवानों को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है और इस पूरे मामले पर जवाब मांग रहा है. इस बीच बुधवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों संग बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत शांति चाहता है और अपने पड़ोसियों के साथ हमेशा हमने मित्रता और सहयोग का व्यवहार रखा है लेकिन अगर भारत की अखंडता और संप्रभुता पर बात आएगी तो इसका उचित जवाब दिया जाएगा. साथ ही पीएम ने कहा कि जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा.
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