महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का नतीजे आने के बाद लम्बे समय तक इस बात को लेकर माथा-पच्ची जारी रहा कि कौन सरकार बनाएगा. इस दौरान काफी उतार चढ़ाव भी देखने को मिला, लेकिन फिर ऐसा हुआ जिसकी लोगों ने कल्पना भी नहीं की थी, लेकिन सियासत और जंग में सब कुछ जायज है इसी सूत्र पर काम करते हुए शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी ने सरकार बनाया. सरकार बनते ही विरोधियों ने सवाल किया था कि आपसी विचार नहीं मिलने की वजह से कंधे वाली ये सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाएगी. कुछ ऐसा ही मामला अब धीरे-धीरे महाराष्ट्र में दिखाई दे रहा है. पहले शिवसेना और एनसीपी के नेता इंदिरा गांधी पर सवाल खड़ा कर अपने ही सहयोगी पार्टी को सवालों के कटघरे में खड़ा कर रहे हैं.
ऐसा ही एक नया मामला दिखा महाराष्ट्र में NCP, कांग्रेस और शिवसेना की गठबंधन वाली सरकार के मंत्री जितेंद्र जितेंद्र आव्हाड का उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने के चक्कर में इंदिरा गांधी को लेकर बयान दे दिया जिसके बाद गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस असहज महसूस कर रही है. मोदी सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने इंदिरा गांधी को लपेटे में ले लिया. उन्होंने कहा “इंदिरा गांधी ने भी लोकतंत्र का गला घोंट था, उनके खिलाफ भी कोई भी बयान देने से डरता था. उस समय अहमदाबाद और पटना के छात्रों ने विरोध किया था, वहीं इतिहास इसबार महाराष्ट्र और देश में दोहराया जाएगा”.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना और NCP की सरकार बनने के बाद से लगातार नेताओं की तरफ से आ रहे बयानों से सरकार को फजीहत का सामना करना पर रहा है. हाल ही में शिवसेना नेता संजय राउत ने पुणे में एक कार्यक्रम में कहा था कि कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तब के मुंबई के डॉन करीम लाला से मिलने आती थीं. हालांकि मीडिया पर बयान आने के बाद संजय राउत ने सफाई दी थी और बाद मे उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया था.