गुजरात में इंटर्न डॉक्टरों (Intern Doctors) की हड़ताल अब खत्म हो चुकी है. वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर गुजरात में इंटर्न डॉक्टर (Intern Doctors) हड़ताल पर चले गए थे जो समाप्त हो गई है. डॉक्टरों और राज्य के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल के साथ चर्चा के बाद हड़ताल को समाप्त करने पर फैसला लिया गया.
इंटर्न डॉक्टरों (Intern Doctors) के प्रतिनिधियों ने कहा, “पूरे सरकारी मेडिकल कॉलेज और जीएमईआर कॉलेज के प्रतिनिधियों ने उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल, बड़ौदा भाजपा शहर अध्यक्ष विजय शाह की उपस्थिति में हमारे मुद्दे पर गहराई से और विस्तार से चर्चा की. हमें विश्वास है कि हमारे मुद्दों का हल किया जाएगा और हम अगले दो से तीन दिनों के भीतर इस मुद्दे को हल करने में सक्षम होंगे.
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क्यों हड़ताल पर थे इंटर्न डॉक्टर
इंटर्न डॉक्टरों (Intern Doctors) को मिलने वाली वजीफा की रकम बढ़ाने की मांग को लेकर सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे. इंटर्न डॉक्टर ने अपने वजीफे को 13,000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये तक बढ़ाने की मांग की है. गुजरात सरकार के साथ-साथ GEMERS और म्युनिसिपल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टरों को लगभग 13 हजार का वजीफा दिया जा रहा है.
हड़ताल पर उतरे इंटर्न डॉक्टर (Intern Doctors) प्रति माह 20,000 रुपये के स्टाइपेंड देने की मांग कर रहे हैं. इतना ही नहीं, इस नए वजीफे को अप्रैल 2020 से लागू करने की भी मांग कर रहे हैं. इससे पहले इंटर्न डॉक्टरों ने 14 दिसंबर तक स्टाइपेंड में वृद्धि की मांग राज्य के स्वास्थ्य विभाग से कर चुके थे. इंटर्न डॉक्टरों ने स्वास्थ्य विभाग से कहा था कि मुंबई में इंटर्न डॉक्टरों को 39,000 रुपये का मासिक वजीफा दिया जाता है. जबकि केरल में यह 30,000 रुपये है.
इंटर्न डॉक्टरों (Intern Doctors) का कहना था कि गुजरात में घातक कोरोना महामारी के बीच अपने जीवन के जोखिम में डालकर मरीजों का इलाज कर रहे इंटर्न डॉक्टरों का वजीफा नहीं बढ़ाकर उनके साथ अन्याय किया जा रहा है. अहमदाबाद नगर निगम में एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्रों को प्रति दिन 500 रुपये का भुगतान किया जाता है, जबकि हमें इंटर्न होते हुए भी उससे कम भुगतान किया जाता है.