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क्या कर्नाटक का बदला कांग्रेस ने महाराष्ट्र में लिया, दोनों पार्टियों के दावे में कितनी है सच्चाई

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करीब डेढ़ साल पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव का परिणाम आया था. यहां बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी. लेकिन बीजेपी को एक बार फिर से सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस ने जेडीएस जो कि कांग्रेस की धुरविरोधी मानी जा रही थी उसके साथ मिलकर सरकार बनाने न्योता दिया और जेडीएस के कुमार स्वामी को मुख्यमंत्री पद का ऑफर देकर गठबंधन किया. लेकिन सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राज्यपाल ने बीजेपी के वीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई और उन्हें बहुमत साबित करने का भरपूर समय दिया. कांग्रेस-जेडीएस राज्यपाल के फैसले के खिलाफ कोर्ट गई.

कोर्ट ने 24 घंटे के भीतर येदियुरप्पा को सदन में बहुमत साबित करने का निर्देश दिया, जिसके बाद येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. उसके बाद कुमार स्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने. मई 2018 से जुलाई 2019 तक कुमार स्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे. इस दौरान उन्होंने कई बार अपनी वेदना व्यक्त की और उनकी आंखों में आंसू तक निकल आए. लेकिन आखिरकार कांग्रेस के कुछ विधायकों के टूट जाने के कारण जुलाई 2019 में कुमार स्वामी सरकार गिर गई और राज्य में दोबारा बीजेपी की येदियुरप्पा सरकार बनी.

बिल्कुल ऐसा ही मामला महाराष्ट्र में देखने को मिला जहां सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर बीजेपी को कामयाबी हासिल हुई थी. लेकिन शिवसेना के साथ गठबंधन नहीं होने के बिना पर देवेंद्र फडणवीस ने सरकार बनाने से इंकार कर दिया. फिर काफी दिनों तक महाराष्ट्र में सियासी गहमा गहमी देखने को मिली लेकिन एक दिन सुबह-सुबह राष्ट्रपति शासन को खत्म कर दिया गया और राज्यपाल ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को शपथ दिलवा दी जिसके बाद एक बार फिर से मामला पहुंचा सु्प्रीम कोर्ट, कोर्ट के फैसले के बाद फडणवीस ने इस्तीफा दे दिया.

बीजेपी नेताओं का कहना है कि कर्नाटक की तरह महाराष्ट्र में भी बेमेल गठबंधन बना है. इस सरकार की भी लंबी उम्र नहीं होगी. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए देवेंद्र फडणवीस ने इसकी भविष्यवाणी कर दी. उन्होंने शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन पर हमला करते हुए कहा कि तीन पहियों वाली सरकार ज्यादा दिन नहीं टिकेगी, क्योंकि सभी पहियों की दिशाएं अलग-अलग होंगी, उनकी विचारधाराएं अलग-अलग हैं.

क्या कांग्रेस ने कर्नाटक का लिया बदलना

बीजेपी के एक नेता ने बताया कि कांग्रेस ने इसी तरह बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कर्नाटक में एक प्रयोग किया था, जो पूरी तरह से विफल रहा. उसी तरह का प्रयोग उन्होंने राकांपा के साथ मिल कर महाराष्ट्र में किया है, जिसे उद्धव ठाकरे नहीं समझ पाए. इसका अंजाम उद्धव और शिवसेना को भुगतना पड़ेगा. वहीं पूर्व मंत्री राम शिंदे का कहना है कि यह मतलबी सरकार बन रही है, ऐसी सरकारों की लंबी उम्र नहीं होती. हमें विश्वास है कि बीजेपी जल्द वापसी करेगी.

शिवसेना,एनसीपी और कांग्रेस के सरकार गठन को लेकर विनोद तावडे का कहना है कि शिवसेना ने हमारे साथ विश्वासघात किया है. वह ऐसे लोगों के साथ मिल कर सरकार बनाने जा रही है, जिनके साथ उसका कोई वैचारिक मिलाप नहीं है, राज्य की जनता ने बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को जनमत दिया था, उसका अपमान करते हुए शिवसेना सरकार गठन करने जा रही है.