तुवंर मुजाहिद, अहमदाबाद: इन दिनों पूरी दुनिया में कोरोना वायरस को लेकर दहशत का माहौल छाया हुआ है. पिछले काफी दिनों से कोरोना का तोड़ खोजने के लिए चीन कड़ी मेहनत कर रहा है बावजूद इसके अभी तक अपेक्षित परिणाम हासिल करने में कामयाबी नहीं मिली है. 5 जनवरी को चीन में कोरोना वायरस से एक व्यक्ति की मौत हुई थी, तब से कोरोना की वजह से (1350 सरकारी आंकड़ा, गैर सरकारी आंकड़ा ज्यादा होने की उम्मीद) मौत की नींद सुला चुकी है. इस वायरस की वजह से चीन की हालत हर दिन बद से बदतर होती जा रही है. इस वायरस की वजह से हुवेई में एक ही दिन में 246 लोगों की जान चली गई, दुनिया भर में विदेश यात्रा को लेकर विशेष सावधानी बरती जा रही है. अन्य देश से आने वाले लोगों का थर्मल स्कैनर और दवा का छिड़काव करने के बाद ही एअरपोर्ट से बाहर निकलने दिया जा रहा है. इतना ही नहीं दुनिया भर में कई देश सावधानी के तौर पर अपने नागरिकों से इन दिनों विदेश और खास तौर से चीन की यात्रा करने से बचने की अपील कर रहे हैं.
यह सावधानी इसलिए भी बरतना जरुरी हो जाता है, क्योंकि यदि कोई संक्रमित व्यक्ति देश में प्रवेश कर लिया तो इस महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. कोरोना वायरस के इस महामारी से बचने के लिए कई देश ने बाकायदा एडवाइजरी जारी कर पर्यटकों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है. ऐसे में गुजरात में दुनिया के 130 देशों में से दो हजार से अधिक लोग आ रहे हैं. पांच दिवसीय कार्यक्रम 17 से 22 फरवरी तक राज्य की राजधानी गांधीनगर में आयोजित होने वाला है.
भारत और गुजरात सरकार द्वारा द थर्टीन सेसन ऑफ द कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज टू द कंवेंशन ऑन द कॉंजर्वेशन ऑफ माइग्रेट्री स्पिसिस ऑफ वाइल्ड एनिमल्स (सीएमएस कोप 13 (2020) नामक एक सम्मेलन होने वाला है, इस सम्मेलन में कुछ जंगली जानवरों और पक्षियों के प्रवास और संरक्षण पर चर्चा विचारणा किया जाएगा. जिसका आयोजन राज्य की राजधानी गांधीनगर में मौजूद महात्मा मंदिर में आयोजित होने वाला है.
इस सम्मेलन को लेकर अहमदाबाद और गांधीनगर की लगभग तमाम फाइव स्टार और थ्री स्टार होटलों की बुकिंग पैक हो चुकी हैं, प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो महाराष्ट्र (PIB) के अनुसार, इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे, इस कार्यक्रम को भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय, गुजरात वन विभाग और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है. कार्यक्रम में आने वाले अधिकांश मेहमान करीब 80% लोग एशियाई रीजन से कनेक्टिंग फ्लाइट लेकर आने वाले हैं, और इन दिनों कोरोना वायरस एशिया में बहुत तेजी से अपना पैर फैला रहा है.
इस सम्मेलन का आयोजन कर सरकार एक अच्छा काम करने जा रही है, लेकिन सवाल ये उठता है कि 130 देश से आने वाले मेहमानों का (Thermal Scanner) करने के बाद प्रवेश की इजाजत दी जाएगी इसके बारे में सरकार कोई जानकारी नहीं दे रही है. वीवीआईपी और वीआईपी लोगों को भी स्कैन किया जाएगा या नहीं यह भी एक बड़ा सवाल है? कोराना वायरस देश में प्रवेश ना कर सके इसके लिए सरकार कितनी तैयार है यह भी बड़ा सवाल है. अगर इस वायरस से संक्रमित एक भी आदमी देश में आ जाता है तो इसकी जिम्मेदारी क्या गुजरात सरकार लेगी? गुजरात वन विभाग लेगी? केन्द्र सरकार या फिर केंद्रीय मंत्रालय लेगी? या फिर परिस्थिति का अवलोकन किये बिना इस तरीके का सम्मेलन का आयोजन कर देश को विश्व गुरु बनाने वाले अधिकारी या राजनेता लेंगें?
इस लेख के माध्यम से हम भय नहीं फैलाना चाहते हैं ना ही सरकार के कामकाज पर उंगली उठा रहे हैं. हम केवल राज्य की अहमदाबाद और गांधीनगर के लोगों की सुरक्षा की पुष्टि कर रहे हैं. क्योंकि चीन में कोरोना वायरस से संक्रमित केवल एक व्यक्ति की वजह से अबतक एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, चीन ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए दस दिनों में एक हजार बेड वाला अस्पताल तैयार कर दिया और उन्नत तकनीक के साथ कोरोना पर अंकुश लगाने में तमाम कोशिशें की बावजूद इसके जैसे सफलता की उम्मीद थी वैसा नहीं मिला. चीन में कोरोना की वजह से एक हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन चीन अपनी अर्थव्यवस्था को झटका ना लगे इसके लिए सही आंकड़ा लोगों से छिपा रही है.
उपग्रह चित्रों को अपना अधार बनाकर कुछ लोगों ने समाचार भी प्रकाशित किए गए हैं. जिसमें दावा किया जा रहा है कि कोरोना वायरस की वजह से मरने वाले लोगों की लाशों के जलाने से चीन के वातावरण में सल्फर डाइऑक्साइड गैस बढ़ गई है. कोरोना को लेकर एक चीनी कंपनी का एक डेटा लीक हुआ था जिसके अनुसार चीन में कोरोना के कारण 24,000 लोग मारे गए हैं. कोरोना को लेकर पूरी दुनिया से लगातार डरावनी खबर आ रही है. एक सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चीन में 50,000 से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं. उन्नत तकनीक होने के बावजूद चीन कोराना वायरस के सामने असहाय नजर आ रहा है. ऐसे में गुजरात सरकार का इस खतरनाक वायरस को नजर अंदाज करना भयंकर गलती साबित हो सकता है, एक बात और भी नहीं भूलना चाहिए कि चीन उन्नत तकनीक के मामले में भारत से कहीं आगे है बावजूद इसके चीन अपने घुटने टेक चुका है.
कोराना की वजह से दुनिया भर में अफरा तफरी का माहौल है. चीन के बाद अब कोरोना वायरस सिंगापुर पहुंच चुका है जहां 50 लोग संक्रमित है. एक बैंक के कर्मचारी को संक्रमण होने की जानकारी मिलने के बाद पूरे बैंक को खाली करवा दिया गया. सिंगापुर में रग्बी टूर्नामेंट होने वाला था लेकिन टूर्नामेंट को रद्द कर दिया गया और इसके साथ ही साथ दूसरे छह अन्य टूर्नामेंट को भी रद्द कर दिया गया. सिंगापुर ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक नहीं बल्कि सात टूर्नामेंट रद्द कर दिए हैं. विश्व में पर्यटन ठप हो गया है.
स्पेन में मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस का आयोजन होने वाला था जिसमें एक लाख लोगों के आने की उम्मीद जताई जा रही है. लेकिन कोरोना की वजह से कार्यक्रम रद्द कर दिया गया. आंध्र प्रदेश के चीत्तूर में बालकृष्ण अय्यर बीमार था. उसे लगा कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित है, उसने सोचा कि वायरस का इलाज असंभव है. उसे लगा कि उसका परिवार भी इस वायरस से संक्रमित हो जाएगा. जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली. महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आत्महत्या क्यों की? इसका जवाब ये है कि परिवार को कोरोना वायरस से बचाना? ऐसे हालात में 130 देशों के लोगों को गुजरात में बुलाना आ बैल मुझे मार वाली कहावत को गुजरात सरकार चरितार्थ करती हुई नजर आ रही है.
हर दिन कोरोना वायरस से मरने वालों के आंकड़े में वृद्धि हो रही है. ऐसी खतरनाक स्थिति के बीच, सरकार ने सीएमएस कॉप 13 (2020) का आयोजन कितना उचित है? यह एक बड़ा सवाल है. यूके से प्रकाशित डेली मेल में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित होता है, तो उसमें 14 दिनों से 24 दिनों के बाद ही लक्षण दिखाई देता है, 1 से 14 दिनों के बीच आदमी के शरीर में वायरस है या नहीं इसके बारे में भी पता नहीं चलता. इन दिनों में चाहे जितना जांच करवाया जाए फिर भी इसके लक्षण नहीं दिखाई देते.
द लैंसेट के अनुसार, “कोरोना वायरस 15 सेकंड में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रवेश कर लेता है, यह एक संक्रामक बीमारी है.” दुनिया भर के देश अपने नागरिकों को कोरोनों से बचाने के लिए अलग-अलग तरीके का कदम उठा रहे हैं. इतना ही नहीं बल्कि आयात और निर्यात भी दुनिया भर के कई देशों में रोक लगा दी गई है. लेकिन गुजरात सरकार एक ऐसा कार्यक्रम करने जा रही है जिसमें 130 देशों के लोग आएंगे. गुजरात सरकार ऐसे माहौल में ऐसा सम्मेलन कर गुजरात के लोगों के स्वास्थ्य के साथ ही साथ पूरे देश के लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है.
जानवरों और पर्यावरण के लिए संवेदनशील गुजरात सरकार जो कुछ कर रही है वह अच्छा है लेकिन गुजरात और देश के नागरिकों का जीवन भी काफी मूल्यवान है. इसे भी समझने की जरुरत है, और दूसरे देशों से कुछ सीखने की भी जरुरत भी मसहूस की जा रही है.
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