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क्या मोदी लहर हो रही है बेअसर? सालभर में पांच राज्य में बीजेपी ने खोया वर्चस्व

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अभी पिछले दिनों महाराष्ट्र में सियासी हंगामा चल रहा था तब दिल्ली में बैठे राजनीति के चंद्रगुप्त और चाणक्य की जोड़ी माने जाने वाले मोदी और शाह के सिपेहसालारों को लग रहा था कि वो अजेय हैं. लेकिन महाराष्ट्र में बिल्कुल आखरी वक्त पर शरद पवार ने बिना किसी शोर-शराबे के ऐसा खेल खेला जिसकी वजह से उन्हे अब चाणक्य की उपाधी से नवाजा गया.

देश के पांच राज्यों में हुए पिछले विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए संख्या बल और नतीजों के हिसाब बहुत ज़्यादा उत्साही नतीजे देने वाले नहीं रहे. छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे हिंदी भाषी प्रदेश में कांग्रेस की शानदार वापसी हुई उसके बाद महाराष्ट्र में भी मोदी का जादू फीका पड़ता दिखाई दिया ऐसे में अब कहा जा रहा है कि मोदी लहर धीरे-धीरे कम होती जा रही है. और मोदी का नारा “कांग्रेस मुक्त भारत” उन्हीं के ऊपर हाबी होते नजर आ रहा है. लेकिन बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या जिन राज्यों में बीजेपी को सत्ता से हाथ धोना पड़ा वहीं पर राज्य सरकार लोगों के भरोसे पर खरी नहीं उतरी या फिर केन्द्र में बैठे मोदी-शाह की जोड़ी से लोगों का भरोसा खत्म होता जा रहा है. क्या ऐसा तो नहीं महाराष्ट्र में जिस तरीके से पवार ने आखरी वक्त में बाजी पलट दी थी उसी तरीके से अन्य कई लोग राजनीति के चाणक्य होने की महारथ हासिल करने में लगे हैं.

भाजपा के किले से एक और राज्य बाहर हो गया है. विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद साफ हो गया है कि झारखंड भी भाजपा के हाथ से निकल गया है. सत्ताधारी भाजपा सरकार राज्य में केवल 30 सीटों पर आकर सिमट गई है. दो माह के भीतर भाजपा महाराष्ट्र के बाद झारखंड से भी सत्ता से बाहर हो गई. बीते एक वर्ष में 4 राज्यों से भाजपा अपना वर्चस्व खो चुकी है. वहीं झारखंड पांचवा ऐसा राज्य होगा जहां भाजपा सत्ता से दूर हो गई.

मार्च 2018 में एनडीए की 21 राज्यों में सरकार थी. 2018 के अंत में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा. हिंदी पट्टी के तीनों अहम राज्यों से भाजपा सत्ता से बाहर हो गई. लेकिन पार्टी ने इन तीनों ही राज्यों में लोकसभा चुनाव में जोरदार प्रदर्शन किया था.

केंद्र की सत्ता में मोदी सरकार 2.0 की वापस आने के बाद हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए. महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना को बहुमत मिली, लेकिन सीएम पद को लेकर फंसे पेंच के बाद मामला उलझता गया. इसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई. ऐसे में भाजपा के हाथ से एक और महत्वपूर्ण राज्य छिन गया. जबकि पार्टी हरियाणा में जेजेपी के गठबंधन से सत्ता पर दोबारा काबिज़ होने पर कामयाब रहीं.

2014 के आम चुनाव में भाजपा मोदी के नेतृत्व में केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई थी. तब भाजपा के पास महज सात राज्य थे. वहीं कांग्रेस के पास 13 सूबों में सरकारें थी. इसके बाद हुए राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने कई राज्यों में जीत हासिल की. 2018 में एनडीए की 21 राज्यों में सरकार थी लेकिन अब भाजपा का ग्राफ तेजी से गिर रहा है.अब एनडीए के पास केवल इतने 16 ही राज्य बचे हैं. और आने वाले दिनों में कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या मोदी अपना जादू बरकरार रखने में कामयाब होते हैं या फिर इन्हीं राज्यों की तरफ आगामी विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी को अपनी जमीन गवानी पड़ेगी?