गांधीनगर: गुजरात के नौकरशाही बिरादरी में क्या सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है? यह सवाल शासन एवं प्रशासन पर गहरी नजर रखने वालों के बीच काफी चर्चा में है क्योंकि गुजरात की बीजेपी सरकार का जिन नौकरशाहों से रिश्ते अच्छे होते हैं उन्हे रिटायरमेंट के 6 सालों के बाद राज्य सरकार प्रमोशन देकर आईजी बना देती है. ऐसे कई नाम गुजरात कैडर के आईपीएस के हैं जिन्हें रिटायरमेंट के बाद भी गुजरात में अहम जिम्मेदारियों से नवाजा गया है. लेकिन जिन नौकरशाहों से सरकार का रिश्ता अच्छा नहीं, ऐसे संजीव भट्ट, राहुल शर्मा, आर बी श्री कुमार जैसे कई नाम सामने आ जाते हैं, जो नौकरशाही के अलग ही उदाहरण हैं.
1986 बेंच के गुजरात IPS अधिकारी सतीश वर्मा को पिछले कई सालों से प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली बुलाया गया है. माना जा रहा है कि सतीश वर्मा से प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह नाराजग चल रहे हैं. इस नाराजगी की वजह से गुजरात के अन्य पांच आईपीएस अधिकारियों को डीजी रैंक में पदोन्नति नहीं दिया जा रहा है. सतीश वर्मा 1986 बेंच के आईपीएस हैं उनके बेंच के दो आईपीएस और 1987 बेंच के 3 आईपीएस को डीजी के रूप में पदोन्नत किया जाना चाहिए था, लेकिन गुजरात सरकार उन्हे पदोन्नति देने की हिम्मत नहीं कर रही. ना ही दिल्ली से वापस गुजरात बुलाने की कोशिश कर रही है.
इशरत जहां एनकाउंटर मामले में की जांच करने वाले 1986 बेंच के गुजरात के सीनियर आईपीएस सतीश वर्मा पिछले 5 साल से केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहले सोहराबुद्दीन एनकाउंटर की जांच करने वाले रजनीश राय और इशरत एनकाउंटर की जांच करने वाले सतीश वर्मा का केंद्र में ट्रांसफर कर दिया गया. गुजरात कैडर के इन दोनों IPS अधिकारियों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह नाराज माने जा रहे हैं. उनकी नाराजगी की वजह से ही रजनीश राय अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं. लेकिन सतीश वर्मा आज भी केंद्र सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.
1986 बेंच के आईपीएस सतीश वर्मा सितंबर 2022 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं. सच्चाई का साथ देने वाले इस नौकरशाह की वजह से गुजरात कैडर के दूसरे पांच अन्य एडीशनल डीजी रैंक के अधिकारियों खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. गुजरात कैडर के 1986 बेंच और 1987 बेंच के अधिकारियों को एक साल पहले एडीशनल डीजी से डीजी रैंक में पदोन्नत किया जाना था, लेकिन 1986 से बेंच के सतीश वर्मा सबसे वरिष्ठ होने की वजह से उनके ही बेंच के एंटी करप्शन ब्यूरो के इंचार्ज डायरेक्टर केशव कुमार, पुलिस विभाग के एडिशनल डीजी विनोद मल, 1987 बेंच के सीआईडी क्राइम के एडिशनल डीजी संजय श्रीवास्तव, सीआरपीएफ के अतिरिक्त महानिदेशक एके शर्मा और एससी एसटी सेक्शन के एडीशनल डीजी कमल कुमार ओझा को महानिदेशक के रूप में पदोन्नत नहीं किया जा रहा है. गुजरात को छोड़कर देश के सभी राज्यों में, 1986-87 बेंच के अधिकारी डीजी बन चुके हैं, लेकिन गुजरात में 5 अतिरिक्त महानिदेशक को डीजी बनने के रास्ते में सतीश वर्मा के साथ मोदी-शाह की नाराजगी रुकावट बन रही है.
IPS सतीश वर्मा को केंद्र सरकार ने CRPF में भी अतिरिक्त महानिदेशक के रूप में पदोन्नत नहीं किया. क्योंकि वह उनके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. यदि 1986 की बेंच अधिकारियों को सरकार डीजी के रुप में पदोन्नत देती है तो सतीश वर्मा को भी महानिदेशक के रूप में पदोन्नति देना पड़ेगा. लेकिन सच्चाई का साथ देने वाले इस आईपीएस की वजह से पांच अन्य आईपीएस को प्रमोशन ना देकर गुजरात सरकार सतीश वर्मा को विलन बनाने की कोशिश कर रही है. लेकिन सवाल ये उठता है कि इस पूरे मामले को जानने के बाद गुजरात की नौकरशाह लॉबी खामोश क्यों है?