अहमदाबाद: इसरो (ISRO) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक और अहमदाबाद अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के पूर्व निदेशक तपन मिश्रा ने दावा किया है कि उन्हें 2017 में जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी. तपन मिश्रा ने अपने फेसबुक पोस्ट में यह दावा किया है. अगर उन्होंने यह भी कहा कि, उन्हें नहीं पता कि उन्हें किसने और क्यों जहर दिया था?
इसरो (ISRO) के वैज्ञानिक तपन मिश्रा ने आरोप लगाया है कि 23 मई, 2017 को बेंगलुरु में एक प्रमोशन इंटरव्यू के दौरान घातक आर्सेनिक ट्रायोक्साइड जहर दी गई थी. दोपहर के भोजन के बाद नाश्ते में सॉस के साथ मिलाकर जहर दिया गया था. इसके बाद उनका स्वास्थ्य पिछले 2 वर्षों से लगातार खराब चल रहा है. इंटरव्यू के बाद वह बड़ी मुश्किल हालातों में बेंगलुरु से अहमदाबाद लौटे थे.
तपन मिश्रा ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा,
“ISROमें हमें अक्सर महान वैज्ञानिकों की संदिग्ध मौतों की खबर मिलती है. प्रोफेसर विक्रम साराभाई का भी 1971 में एक संदिग्ध स्थिति में निधन हो गया. इसके बाद 199 में वीएसएससी के निदेशक डॉ. एस श्रीनिवासन की मृत्यु हो गई. यही नहीं, 1994 में श्री नंबिनारायण का मामला भी सामने आया. हालांकि, मुझे नहीं पता था कि मैं एक दिन इस तरह के रहस्य का हिस्सा बनूंगा.”
तपन मिश्रा ने कहा,
“इसके बाद मुझे लगातार दो साल इलाज कराना पड़ा इसीलिए किसी से इस बारे में बात नहीं की. मैं भाग्यशाली हूं क्योंकि इस जहर के लेने के बाद कोई नहीं बचता. मैं जनवरी में रिटायर हो रहा हूं और चाहता हूं कि लोगों को इस बारे में पता चले ताकि अगर मैं मर जाऊं तो सबको पता हो कि मेरे साथ क्या-क्या हुआ था.”
इसरो (ISRO) के इस वरिष्ठ वैज्ञानिक ने आगे लिखा है कि 23 मई 2017 को उन्हें जानलेवा आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड दिया गया था. इसके बाद से वे पिछले दो साल से लगातार बुरी हालत में हैं.
क्या-क्या हो रही थी परेशानी
तपन मिश्रा (ISRO) ने एम्स की मेडिकल रिपोर्ट भी पोस्ट की है. अहमदाबाद लौटने के बाद काफी एनल ब्लीडिंग हो रही थी. इसके बाद सांस लेने में दिक्कत होने के बाद उन्हें अहमदाबाद के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पैर और हाथ की उंगलियों के नाखून उखड़ने लगे थे. शरीर के अंदर और बाहर के अंगों पर एक न्यूरोलॉजिकल समस्या थी और फंगल संक्रमण हो रहा था.
तपन मिश्रा (ISRO) ने अपना इलाज जायडस कैडिला अहमदाबाद, टाटा मेमोरियल अस्पताल मुबंई और एम्स दिल्ली में करवाया. इस इलाज में उन्हें करीब दो साल का समय लग गया. तपन मिश्रा ने अपने दावे के सबूत के तौर पर जांच रिपोर्ट, एम्स का पर्चा और अपने हाथ-पैर के कुछ फोटो भी फेसबुक पर साझा किए हैं.