अहमदाबाद: भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथयात्रा इस साल गुजरात हाईकोर्ट के रोक के बाद नहीं निकली. कोरोना महामारी की वजह से 143 वीं रथयात्रा ऐतिहासिक रथयात्रा इसलिए बन गई. क्योंकि 142 सालों सतत निकलने वाली रथयात्रा पहली बार नहीं निकली. कोर्ट की ओर लगी रोक के बाद रथ को इस साल मंदिर परिसर में ही निकाला गया. रथयात्रा नहीं निकलने के बाद जगन्नाथ मंदिर ट्रस्ट और गुजरात सरकार आमने-सामने हैं. इस बीच मंदिर के महंत दिलीप दासजी गुजरात सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है.
जय रणछोड़ माखनचोर के गगनभेदी नारा, भजन मंडली, आदिवासी नृत्यों, संगीत के बीच निकलने वाली रथयात्रा इस बार बिल्कुल सूना-सूना था. कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर परिसर में ही भगवना जगन्नाथ की 143 वीं रथयात्रा निकाली गई. ऐतिहासिल रथयात्रा नहीं निकलने पर मंदिर के महंत दिलीप दास महाराज ने विश्वासघात का आरोप लगाते हुए कहा कि “हमें बहुत भरोसा था. हमारे साथ बड़ा खेल खेला गया है जिन पर हमने भरोसा किया उन्हीं लोगों ने हमारे भरोसे के तोड़ दिया.”
रथयात्रा निकालने का वादा कर हमारे भरोसे को तोड़ दिया गया है. हमें अंत तक अंधेरे में रखा. हमें सुबह तक रथयात्रा निकालने का पूरा भरोसा था. लेकिन बिल्कुल आखरी वक्त में हमें पता चला कि हमारे साथ धोखा हुआ है. हमने गलत लोगों पर विश्वास किया जो जो हमें भारी पड़ा. रथयात्रा नहीं निकलने से हमारा विश्वास टूट गया है ”
वहीं इस मामले को लेकर मंदिर के ट्रस्टी महेंद्र झा ने कहा कि सरकार ने हमें अंधेरे में रखा, अगर वक्त रहते हमें सुप्रीम कोर्ट जाने देती तो पुरी की रथयात्रा की तर्ज पर अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की 143वीं एतिहासिक रथयात्रा भी निकाली जा सकती थी.
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