विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में पार्टी और नेताओं का एक-दूसरे से अलग होने का सिलसिला तेज हो गया है. ताजा घटनाक्रम में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी महागठबंधन से अलग हो गई है.
मांझी की पार्टी की कोर कमेटी में ये फैसला लिया है कि वह अब महागठबंधन का हिस्सा नहीं रहेंगे.
मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) ने महागठबंधन से अलग होने की अटकलें पहले से लगाई जा रही थीं.
ऐसे में महागठबंधन में लगातार नाराज चल रहे मांझी ने आखिरकार आज महागठबंधन छोड़ने का फैसला कर लिया.
इससे पहले पटना में मांझी ने आज अपनी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के कोर ग्रुप की बैठक बुलाई थी.
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माना जा रहा है कि जीतन राम मांझी जेडीयू के साथ जा सकते हैं.
जीतन राम मांझी की घर वापसी को लेकर जेडीयू की तरफ से पिछले कई महीनों से कवायद हो रही है.
जेडीयू चाहती है कि मांझी की पार्टी हम का पूरी तरह से जेडीयू में विलय हो जाए.
हालांकि, अभी तय नहीं हुआ है कि जीतनराम मांझी की पार्टी जेडीयू से हाथ मिलाएगी या नहीं.
लेकिन सूत्रों का कहना है कि जेडीयू और मांझी के बीच बात हो चुकी है.
श्याम रजत ने छोड़ी थी नीतीश की पार्टी
पिछले दिनों ही श्याम रजक, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू छोड़कर आरजेडी में आए हैं.
इस दौरान श्याम रजक ने नीतीश सरकार दलित विरोधी कहा था.
उन्होंने कहा था कि बिहार का कोई ऐसा थाना नहीं है जहां दलितों के साथ हत्या, बलात्कार और छेड़खानी नहीं होती.
श्याम रजक के बयान पर जीतनराम मंझी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि श्याम रजक मंत्रिमंडल में इतने दिनों तक लाभ लेने के बाद चुनाव के समय में नीतीश कुमार को दलित विरोधी कह रहें हैं, जिसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है.
मांझी के इस बयान को उनकी घर वापसी से जोड़कर देखा जा रहा था.
सीएम नीतीश से मिल सकता है सम्मान
माना जा रहा है कि मांझी ने महागठबंधन से बाहर जाने का निर्णय सीएम नीतीश से मिले इस आश्वासन के बाद लिया है कि उनकी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को विधानसभा चुनाव में करीब 7 से 10 टिकट जेडीयू के कोटे से देंगे.
सूत्र यह भी बताते हैं कि एनडीए में वापसी को लेकर जीतन राम मांझी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच फोन पर बातचीत हो चुकी है.