यौन उत्पीड़न के मामले में करीब 7 साल से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद आसाराम ने कोरोना संकट के बीच देश में उत्पन्न लॉकडाउन से पैरोल हासिल करनी की कई कोशिशें की लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी. कोरोना संक्रमण के बाद तो आसाराम ने पैरोल के लिए 2 दिन तक भूख हड़ताल भी की थी लेकिन फिर भी उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी थी. अंत में थक हार कर आसाराम फिर से अपने नियमित काम-काज में व्यस्त हो गए. कोरोनाकाल में आसाराम ने जेल में ही ‘वृंदावन’ बना लिया, जहां उनकी सुबह होती है.
जेल में आसाराम नियमित तौर पर योगाभ्यास करते हैं. मालूम हो कि आसाराम को नाबालिग से यौन शोषण के मामले में जीवन की अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई गई है. न्यूज-18 की खबर के मुताबिक, आसाराम अपनी आदत अनुसार सुबह 4 बजे ही उठ जाते हैं. लेकिन जेल के नियमानुसार बैरक सुबह 6 बजे खुलता है. इन 2 घंटों में आसाराम ध्यान लगाते हैं और योगाभ्यास करते हैं. सुबह 6 बजे जब बैरक खुलती है, आसाराम नित्यकर्म आदि से निवृत्त होकर स्नान करते है. फिर वे पूजा पाठ करने बैठ जाते हैं. सुबह 7 बजे सभी बंदियों को जेल की तरफ से नाश्ता दिया जाता है, लेकिन आसाराम पूजा पाठ से निवृत्त होकर करीब 7.30 बजे नाश्ता करते हैं.
आसाराम ने अपने बैरक के पास बहुत सारे तुलसी के पौधे उगा रखे हैं. इसे वृंदावन नाम दे रखा है. खाना खाने के बाद आसाराम इस वृंदावन में करीब 1 घंटे टहलते हैं. जेल के कैदियों को रोजाना पांच पत्ती तुलसी की खाने की सलाह देते हैं. आसाराम खुद भी प्रतिदिन तुलसी के पत्तों का सेवन करते हैं. वहीं जेल के अन्य कैदियों को भी इसके सेवन की सलाह देते हैं.
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