केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन 30 वें दिन भी जारी है. JP Nadda Sonia Gandhi
राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं. केंद्र सरकार किसानों के साथ बैठक कर कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है.
लेकिन न तो सरकार कानून वापस लेने को तैयार है और न ही किसान पीछे हटने को तैयार.
विपक्ष पर मोदी सरकार लगा रही है आरोप JP Nadda Sonia Gandhi
जहां एक तरफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है वहीं इस कानून को लेकर विपक्ष पर लगातार किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया जा रहा है. JP Nadda Sonia Gandhi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर ज्यादातर भाजपा नेता विपक्षी दल पर हमला बोल रहे हैं. JP Nadda Sonia Gandhi
अब इसमें नया नाम जुड़ गया पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का उन्होंने सोनिया गांधी का एक पुराना वीडियो ट्वीट कर कांग्रेस पर किसानों को भ्रमित करने का आरोप लगाया है.
सोनिया गांधी पुराना वीडियों साझा कर नड्डा ने बोला कांग्रेस पर हमला JP Nadda Sonia Gandhi
जेपी नड्डा ने सोनिया गांधी का एक पुराना वीडियो अपने ट्विटर अकाउंट पर साझा करते हुए लिखा “किसानों को भ्रमित करने और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखने वाली कांग्रेस का सच फिर उजागर हुआ है.
सोनिया गांधी जी पहले किसानों के लिए बिचौलिया मुक्त बाजार की वकालत करती थी और अब इसका विरोध करती है. ये कांग्रेस की मौक़ापरस्त सोच, कम जानकारी व बार-बार बात से पलटने का प्रमाण है.”
किसानों को भ्रमित करने और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखने वाली कांग्रेस का सच फिर उजागर हुआ है। सोनिया गांधी जी पहले किसानों के लिए बिचौलिया मुक्त बाजार की वकालत करती थी और अब इसका विरोध करती है। ये कांग्रेस की मौक़ापरस्त सोच, कम जानकारी व बार-बार बात से पलटने का प्रमाण है। pic.twitter.com/kL17RnssSv
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) December 24, 2020
किसानों ने ठुकराया सरकार से बातचीत का प्रस्ताव JP Nadda Sonia Gandhi
किसान संगठनों ने सरकार से बातचीत के मुद्दे पर आपस में बुधवार को चर्चा की. आपसी बैठक के बाद बातचीत के लिए सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को किसान संगठनों ने ठुकरा दिया है.
40 किसान संगठनों की बैठक के बाद योगेंद्र यादव ने कहा कि हम तीनों कृषि कानूनों में किसी भी प्रकार के बदलाव की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि तीनों कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हैं.
न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर जो प्रस्ताव सरकार से आया है उसमें कुछ भी साफ नहीं है और स्पष्ट नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार ठोस प्रस्ताव लिखित में भेजें और खुले मन से बातचीत के लिए बुलाए.
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