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कृषि बिल के खिलाफ किसानों का चक्का जाम, पंजाब-हरियाणा और बिहार में दिखा असर

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  • कृषि बिल के खिलाफ किसानों ने भारत बंद का किया ऐलान
  • किसानों के भारत बंद का पंजाब-हरियाणा और बिहार में दिखा असर
  • पंजाब में किसानों का जारी है रेल रोको आंदोलन
  • किसान संगठन इस बिल को बता रहे हैं किसान विरोधी

किसानों के विरोध और विपक्ष के हंगामे के बावजूद लोकसभा और राज्यसभा में किसान बिल पास हो चुका है. कृषि बिल के खिलाफ देशभर के किसानों ने आज भारत बंद का ऐलान किया है.

पंजाब-हरियाणा में भी किसान बिल पास होने के बाद से ही हंगामा कर रहे हैं. पंजाब में कल से ही किसान संगठन के लोग रेल रोको आंदोलन का आगाज कर चुके हैं.

किसानों के भारत बंद के फैसले का सियासी पार्टियों ने समर्थन दिया है. कांग्रेस, राजद, समाजवादी पार्टी, अकाली दल, आप, टीएमसी समेत कई विपक्षी दल किसानों को सपोर्ट कर रहे हैं.

किसानों के भारत बंद का दिख रहा है असर

जहां एक तरफ पंजाब में कल से ही किसान रेल रोको आंदोलन कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ भारत बंद के ऐलान के चलते देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों ने चक्का जाम किया है.

किसानों के आंदोलन का सबसे ज्यादा असर पंजाब, हरियाणा और बिहार में देखने को मिला. किसान बिल के खिलाफ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ट्रैक्टर चलाकर विरोध प्रदर्शन भी किया.

इस दौरान उन्होंने हमला बोलते हुए कहा कि सरकार हमारे ‘अन्नदात’ को ‘फंड दाता’ के हाथों कठपुतली बना देना चाहती है.

पंजाब में जारी है रेल रोको आंदोलन

पंजाब के अमृतसर में किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले रेल रोको आंदोलन कर रहे हैं. कई जगहों पर किसान रेलवे ट्रेक पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करते हुए नजर आ रहे हैं.

यह आंदोलन 24 तारीख से लेकर 26 तारीख तक चलाया जाएगा. किसानों के रेल रोको आंदोलन के बाद राज्य सरकार हरकत में आ गई है.

वहीं रेलवे विभाग ने आंदोलन को लेकर कई जगहों पर ट्रेन को रद्द करने का फैसला किया है. मिल रही जानकारी के अनुसार किसान फिरोजपुर, अमृतसर, जालंधर, पठानकोट रेलवे स्टेशनों पर ट्रेन रोकने की कोशिश करेंगे.

राज्य सरकार ने विरोध करने वाले किसानों पर नरव रवैया अख्तियार करने का निर्देश दिया है.

किसान विरोधी है कृषि बिल

केंद्र सरकार जहां इस बिल को लेकर दावा कर रही है कि इससे किसानों को फायदा मिलेगा वहीं किसानों का दावा है कि यह बिल किसान विरोधी है. किसान संगठन से जुड़े लोग इस विधेयक को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

साथ ही साथ दावा कर रहे हैं कि इससे कॉरपोरेट से जुड़े लोगों को फायदा पहुंचेगा. किसानों का कहना है कि बिल लाने से पहले सरकार ने किसान संगठनों से चर्चा नहीं किया था.

किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने के लिए कानूनी प्रावधान करने की मांग कर रहे हैं.

विपक्ष मुखर होकर कर रही है विरोध

कृषि से जुड़े तीन विधेयकों राज्यसभा और लोकसभा में पास हो चुका है. इस बिल के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाने वालों में सबसे पहला नाम एनडीए की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल का है.

लोकसभा में बिल पास होने के फौरन बाद मोदी मंत्रीमंडल में शामिल हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस के साथ ही साथ अन्य विपक्षी दल भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं.

राज्यसभा में बिल पर चर्चा के दौरान हंगामा करने वाले 8 सांसदों को रविवार को सस्पेंड भी कर दिया गया था.

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