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नरम पड़ा आंदोलनकारी किसानों का रुख, फिलहाल के लिए संसद मार्च स्थगित

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कृषि कानूनों को रद्द करने का ऐलान करने के बाद से मोदी सरकार किसानों के लिए अलग-अलग ऐलान कर रही है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज कहा कि किसान संगठनों ने पराली जलाने पर किसानों को दंडनीय अपराध से मुक्त किए जाने की मांग की थी. भारत सरकार ने किसानों की इस मांग को भी मान लिया है. इस बीच जानकारी सामने आ रही है कि 29 नवंबर को होने वाले संसद मार्च को किसानों ने स्थगित कर दिया है.

शनिवार को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में यह फैसला लिया गया है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राजवीर सिंह जादौन ने इस सिलसिले में जानकारी देते हुए कहा कि संसद कूच करने का कार्यक्रम स्थगित हुआ है खत्म नहीं हुआ है, हम इस पर 4 तारीख को फैसला लेंगे. सरकार को किसानों के सारे मुद्दों पर संयुक्त किसान मोर्चा से बात करना होगा और बिना MSP के हमारा मोर्चा वापस नहीं होगा. हम सरकार की आज की घोषणाओं से सहमत नहीं है.

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बैठक के बाद कहा कि सरकार ने अभी तक किसानों की मौत, लखीमपुर खीरी की घटना, MSP और हम पर हुए मुकदमें पर कोई जवाब नहीं दिया है. हमारी प्राथमिकता है कि MSP पर कानून बने इसलिए हम सरकार से कहना चाहते हैं कि MSP पर हमें कानून बनाकर दें. सरकार इस पर जितना जल्दी फैसला ले उतना अच्छा है नहीं तो हमारे आंदोलन बदस्तूर जारी रहेंगे.

राकेश टिकैत ने आगे कहा कि 29 तारीख के प्रस्तावित कार्यक्रम को हमने स्थगित कर दिया है और 4 तारीख को संयुक्त किसान मोर्चा की फिर से बैठक होगी और उसमें हम आगे का कार्यक्रम तय करेंगे.

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