उतर प्रदेश के कानपुर में लैब टेक्नीशियन के अपहरण मामले में योगी सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है. जांच में लापरवाही बरतने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर पुलिस के बड़े अफसरों को निलंबित कर दिया है. उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने शुक्रवार को बताया कि मामले में लापरवाही बरतने के चलते उत्तर प्रदेश सरकार ने अपर पुलिस अधीक्षक, कानपुर नगर (दक्षिण) श्रीमती अपर्णा गुप्ता और तत्कालीन क्षेत्राधिकारी मनोज गुप्ता को निलंबित कर दिया है.
कानपुर के बर्रा से एक खबर आई थी कि यहां लैब असिस्टेंट संजीत यादव का पहले अपहरण हो गया था. पुलिस के भरोसे पर परिवार गहने-जेवर बेचकर 30 लाख की फिरौती जुटाई. 30 लाख की फिरौती भी दी गई, लेकिन पुलिस अगवा युवक को बचा नहीं पाई और उसकी हत्या हो गई.
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युवक की हत्या के मामले में परिवार वालों ने पुलिस पर ही आरोप लगाया है कि पुलिस अपहरणकर्ताओं को 30 लाख की फिरौती लेकर भागने में रोकने से नाकाम रही. पुलिस का दावा है कि अपरहणकर्ताओं ने युवक की हत्या एक महीने पहले ही कर दी थी. हालांकि अब तक मृतक का शव बरामद नहीं हो पाया है.
परिवार ने लगाया बड़ा आरोप
मृतक संजीत यादव एक प्राइवेट लैब में एक टेक्नीशियन के रूप में काम करता था. पिछले महीने उसका अपहरण कर लिया गया था. पिछले हफ्ते जब परिवार ने पुलिस प्रमुख के घर के बाहर प्रदर्शन किया तो इसकी जांच के आदेश दिए गए. परिवार ने उत्तर प्रदेश की पुलिस आरोप लगाया है कि उन्हें पुलिस की एक टीम ने अपहरणकर्ताओं को 30 लाख रुपये की फिरौती देने के लिए कहा था. जिसके बाद परिवार ने 13 जुलाई को नकदी अपरहणकर्ताओं को सौंप दी. किडनैपर्स पुलिस की मौजूदगी में 30 लाख रुपए लेकर भागने में कामयाब रहे.
कुछ लोगों की हुई है गिरफ्तारी
इस मामले में एक स्टेशन ऑफिसर को निलंबित किया गया था. लेकिन पुलिस का कहना था कि अपहरणकर्ताओं को कोई फिरौती की रकम नहीं दी गई है. इसके बाद परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उन पर यह कहने के लिए दबाव डाला था कि अपरहणकर्ताओं ने उनसे कोई पैसा नहीं लिया. वहीं गुरुवार को पुलिस ने कुछ लोगों को लैब टैक्नीशियन हत्याकांड को लेकर गिरफ्तार किया है.