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केंद्र की भाजपा और गुजरात सरकार के बीच ताल-मेल की कमी, शिक्षा मंत्री ने बदला फैसला

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कोरोना संकटकाल के बीच गुजरात के शिक्षा मंत्री भूपेंद्रसिंह चुडासमा को केंद्र सरकार के फैसले के बाद अपना फैसला बदल लिया है. कोरोना संकटकाल के बीच केंद्र दिशा-निर्देश जारी किया है कि शैक्षणिक कामकाज हालात सुधरने तक शुरू नहीं किए जाएगें. केंद्र के इस फैसले के बाद कल से शुरू होने वाली जीटीयू की परीक्षा के साथ ही साथ राज्य की अन्य विश्वविद्यालयों में होने वाली परीक्षा पर पूर्ण विराम लग गया है.

गुजरात सरकार के शिक्षा मंत्री भूपेंद्रसिंह चुडासमा ने आज महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहा था कि पिछले कुछ समय से कोरोना की वजह से अटके कॉलेजों की परीक्षाएं जल्द आयोजित की जाएगी. उनके इस फैसले के बाद छात्रों के मन परीक्षा को लेकर पैदा हुई भ्रम की स्थिति को कुछ हदतक दूर तो हुई थी. लेकिन केंद्र सरकार के फैसले के बाद भूपेंद्रसिंह चुडासमा को अपना फैसला बदलना पड़ा.

इस सिलसिले में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि जीटीयू में कल से परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी. हमने छात्रों को तीन परीक्षा में बैठने के लिए विकल्प दिए हैं. ऑफलाइन, ऑनलाइन सहित 3 विकल्प हैं. इसमें से छात्रों को एक विकल्प चुनना होगा. हमने यह निर्णय इसलिए लिया है ताकि छात्रों को परीक्षा में कोई परेशानी न हो. 54 हजार छात्रों की राय ली गई है. जिसमें से सिर्फ 900 छात्रों ने परीक्षा नहीं देने की बात कही.

इतना ही गुजरात शिक्षा विभाग कोरोना संकटकाल के बीच परीक्षा केंद्रों पर खास इंतजाम किया था. लेकिन केंद्र सरकार के फैसले के बाद जीटीयू के साथ ही साथ अन्य विश्वविद्यालयों में होने वाली परीक्षा की सुगबुगाहट पर फिर से विराम लग गया. लेकिन सवाल ये उठता है कि गुजरात सरकार केंद्र के फैसले से अंजान परीक्षा लेने का ऐलान कैसे कर सकती है. क्या केंद्र की भाजपा और गुजरात की रूपाणी सरकार में ताल-मेल की कमी आ गई है.

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