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प्रवासी मजदूरों की अंतिम यात्रा, रोटी-प्याज लेकर 35 किमी पैदल सफर और फिर मौत की झपकी…

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कोरोना लॉकडाउन में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में फंसे प्रवासी मजदूरों को कहां पता था कि जब वह पैदल अपने घरों के लिए निकलेंगे तो यह उनकी जिंदगी की अंतिम यात्रा होगी, जहां वह अपने परिवार से भी नहीं मिल पाएंगे. औरंगाबाद में शुक्रवार को एक मालगाड़ी ट्रेन ने पटरी पर सो रहे प्रवासी मजदूरों को रौंद डाला, जिसमें 16 श्रमिकों की मौत हो गई और पांच घायल हो गए. घायल मजदूरों को औरंगाबाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज हो रहा है. मृतक मजदूर मध्य प्रदेश के बताए जा रहे हैं.

दरअसल, औरंगाबाद से घर वापसी की ओर कदम बढ़ा रहे ये प्रवासी मजदूर 35 किलोमीटर पैदल चले थे, मगर रास्ते में चलते-चलते उन्हें थकावट महसूस हुई और पटरी पर ही झपकी लेने लगे. मगर उन्हें कहां पता था कि उनकी ये झपकी, मौत में बदल जाएगी. 35 किलोमीटर चलने के बाद ये सभी मजदूर पटरी पर ही आराम करने लगे. सुबह करीब सवा पांच बजे के वक्त ये सभी गहरी नींद में सो रहे थे. तभी ट्रेन आती है और इन्हें रौंद डालती है. सुबह के वक्त गहरी नींद में होने की वजह से किसी को भी संभलने का मौका नहीं मिला और घर वापस लौटने की उम्मीद उनकी वहीं टूट गई.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, साउथ सेंट्रल रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राकेश ने कहा कि घटना सुबह 5.15 बजे की है और घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. एक अधिकारी ने बताया कि जालौन से भुसावल जा रहे मजदूर मध्य प्रदेश लौट रहे थे. उन्होंने कहा कि वे सभी मजदूर रेल की पटरियों पर चल रहे थे और थकावट के कारण पटरियों पर ही सो गए थे.

रेल मंत्रालय ने बताया कि मजदूरों को रेलवे ट्रैक पर देखते ही मालगाड़ी के लोको पायलट ने ट्रेन को रोकने की कोशिश की, मगर वह हो नहीं सका. हादसे में घायल लोगों को औरंगाबाद सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इसके अलावा मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

इस दर्दनाक हादसे को लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया, ‘आज सुबह 5:22 पर नांदेड़ डिवीजन के बदनापुर व करमाड स्टेशन के बीच सोये हुए श्रमिकों के मालगाड़ी के नीचे आने का दुखद समाचार मिला. राहत कार्य जारी है, व जांच के आदेश दिए गए हैं. दिवंगत आत्माओं की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना करता हूं.

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