राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने शुक्रवार को लव जिहाद (Love Jihad) को लेकर भाजपा पर आरोप लगाए. उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि लव जिहाद शब्द का निर्माण भाजपा ने किया है.
गहलोत ने कहा कि विवाह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है, इस पर अंकुश लगाने के लिए एक कानून लाना पूरी तरह से असंवैधानिक है और यह कानून की किसी भी अदालत में खड़ा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि ‘लव जिहाद’ (Love Jihad) शब्द बीजेपी (BJP) की ओर से गढ़ा गया है ताकि देश को बांटा जा सके और सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाया जा सके.
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लव जिहाद बीजेपी द्वारा निर्मित
गहलोत ने एक के बाद एक तीन ट्वीट करके बीजेपी पर हमला बोला है. गहलोत ने ट्वीट किया, “लव जिहाद (Love Jihad) बीजेपी द्वारा निर्मित शब्द है ताकि देश को बांटा जा सके और सांप्रदायिक सौहर्द को बिगाड़ा जा सके. शादी एक व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है, इस पर अंकुश लगाने के लिए कानून लाना पूरी तरह से असंवैधानिक है और यह कानून किसी भी अदालत में टिक नहीं पाएगा. प्यार में जिहाद (Love Jihad) की कोई जगह नहीं है.”
Love Jihad is a word manufactured by BJP to divide the Nation & disturb communal harmony. Marriage is a matter of personal liberty, bringing a law to curb it is completely unconstitutional & it will not stand in any court of law. Jihad has no place in Love.
1/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 20, 2020
अशोक गहलोत ने आगे कहा, “वे (BJP) देश में ऐसा माहौल पदा कर रहे हैं, जहां सहमति रखने वाले व्यस्क सत्ता की दया पर होंगे. शादी एक व्यक्तिगत निर्णय है और ये लोग उस पर अंकुश लगा रहे हैं, यह व्यक्तिगत आजादी छीनने जैसा है.”
They are creating an environment in the nation where consenting adults would be at the mercy of state power. Marriage is a personal decision & they are putting curbs on it, which is like snatching away personal liberty.
2/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 20, 2020
उन्होंने अपने अगले ट्वीट में लिखा, “यह सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने, सामाजिक तनाव को बढ़ावा देने और संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने की चाल जैसी प्रतीत होती है. राज्य किसी भी आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव नहीं करता है.”
It seems a ploy to disrupt communal harmony, fuel social conflict & disregard constitutional provisions like the state not discriminating against citizens on any ground.
3/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 20, 2020