उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगे हिंसा के आरोपियों के पोस्टर का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. बुधवार को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के पोस्टर हटाने के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की. इस याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. अब गुरुवार को सुबह 10:30 बजे यूपी सरकार की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा.
इससे पहले यूपी सरकार ने फैसला किया था कि लखनऊ हिंसा के उपद्रवियों के पोस्टर को वह नहीं हटाएगी. सरकार ने लखनऊ की सड़कों पर लगे 57 आरोपियों को पोस्टर नहीं हटाने का फैसला किया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश के बाद यह फैसला लिया गया. एक बैठक में अपर मुख्य सचिव गृह, पुलिस कमिश्नर लखनऊ, जिलाधिकारी लखनऊ के साथ कई बड़े अधिकारी लोक भवन में मौजूद रहे जहां यह फैसला लिया गया था.
मालूम हो कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार हिंसा के आरोपियों को पोस्टर सार्वजनिक जगहों पर लगाए गए पोस्टर्स और होर्डिंग्स को हटाने का आदेश दिया था. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लखनऊ में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़की थी. दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीएए प्रदर्शन के दौरान हिंसा के आरोपियों का पोस्टर हटाने का आदेश दिया है. लखनऊ के अलग-अलग चौराहों पर वसूली के लिए 57 कथित प्रदर्शनकारियों के 100 पोस्टर लगाए गए थे.
पुलिस द्वारा जारी पोस्टर में आरोपियों के नाम, फोटो और आवासीय पतों का उल्लेख है. इसके परिणाम स्वरूप नामजद लोग अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित हैं. पुलिस-प्रशासन द्वारा लगाए गए इन पोस्टरों में 53 आरोपितों के नाम शामिल हैं. इस मामले को लेकर पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी का कहना है कि ऐसा करके योगी सरकार ने उनकी जिंदगी को खतरे में डाल दिया है.
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