लखनऊ हिंसा के उपद्रवियों के पोस्टर उत्तर प्रदेश सरकार नहीं हटाएगी. यूपी सरकार ने यह फैसला किया है कि लखनऊ की सड़कों पर लगे 57 आरोपियों को पोस्टर नहीं हटाए जाएंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश के बाद यह फैसला लिया गया है.
इस बैठक में अपर मुख्य सचिव गृह, पुलिस कमिश्नर लखनऊ, जिलाधिकारी लखनऊ के साथ कई बड़े अधिकारी लोक भवन में मौजूद रहे. यूपी सरकार अब इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी. होली के बाद सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार अपील दाखिल की जाएगी.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार हिंसा के आरोपियों को पोस्टर सार्वजनिक जगहों पर लगाए गए पोस्टर्स और होर्डिंग्स को हटाने का आदेश दिया था. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लखनऊ में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़की थी.
दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीएए प्रदर्शन के दौरान हिंसा के आरोपियों का पोस्टर हटाने का आदेश दिया है. लखनऊ के अलग-अलग चौराहों पर वसूली के लिए 57 कथित प्रदर्शनकारियों के 100 पोस्टर लगाए गए थे.
पुलिस द्वारा जारी पोस्टर में आरोपियों के नाम, फोटो और आवासीय पतों का उल्लेख है. इसके परिणाम स्वरूप नामजद लोग अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित हैं. पुलिस-प्रशासन द्वारा लगाए गए इन पोस्टरों में 53 आरोपितों के नाम शामिल हैं. इस मामले को लेकर पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी का कहना है कि ऐसा करके योगी सरकार ने उनकी जिंदगी को खतरे में डाल दिया है.
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