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गुजरातियों और राजस्थानियों को हटा देंगें तो महाराष्ट्र के पास पैसा नहीं बचेगा: भगत कोश्यारी

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महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बयान ने एक बार फिर महाराष्ट्र में बाहर से आकर बसे लोगों का मुद्दा खड़ा हो गया है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि अगर महाराष्ट्र से गुजरातियों और राजस्थानियों को हटा दिया जाए, खासकर मुंबई और ठाणे से तो यहां पैसा नहीं बचेगा. मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी नहीं बन सकती. महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के इस बयान ने महाराष्ट्रीयन बनाम बाहरी व्यक्ति के मुद्दे को हवा दे दी है.

शुक्रवार को मुंबई के अंधेरी में एक चौक का नाम दिवंगत शांतिदेवी चम्पालालजी कोठारी के नाम पर रखने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि मैं लोगों से कह रहा हूं कि अगर आप गुजरातियों और राजस्थानियों को महाराष्ट्र से, खासकर मुंबई और ठाणे से भगा देंगे, तो आपके पास एक पैसा भी नहीं बचेगा. मुंबई को वित्तीय राजधानी भी नहीं किया जाएगा.

62 साल पहले गुजरात और महाराष्ट्र एक थे

आपको बता दें कि 1960 तक महाराष्ट्र और गुजरात दो अलग-अलग राज्य नहीं थे बल्कि बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा थे. बॉम्बे प्रेसीडेंसी के अधिकांश लोग मराठी और गुजराती बोलते थे. जब राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के तहत भाषाई आधार पर एक अलग राज्य की मांग की गई, तो तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू सरकार ने बॉम्बे प्रेसीडेंसी को विभाजित कर दिया. एक का नाम महाराष्ट्र और दूसरे का नाम गुजरात रखा गया था.

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