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नीतीश के दलित कार्ड पर बरसी मायावती, कहा- बहकावे में कतई ना आएं

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  • बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश का बड़ा दलित कार्ड
    जल्द से जल्द नियमों में बदलाव का सुनाया आदेश
    नीतीश के दलित कार्ड में मायावती का हमला
    इनके दौर में सबसे ज्यादा इन वर्गों की गई गई घोर अनदेखी

सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा उचित समय में की जाएगी.

आयोग ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव प्रक्रिया 29 नवंबर से पहले पूरी हो जाएगी. आयोग के इस आदेश के बाद राज्य में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं.

जहां एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दलितों के वोट साधने के लिए नियमों में बदलाव का आदेश दिया है.

वहीं इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो ने हमला बोला है.

माया ने ट्वीट कर बोला हमला

आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सीएम नीतीश कुमार ने बड़ा दलित कार्ड खेला है. मामला सामने आने के बाद मायावती ने हमला बोलते हुए कहा कि बिहार की सरकार प्रलोभन देकर दलित और आदिवासी वोट के जुगाड़ में है.

उन्होंने ट्वीट कर लिखा- “बिहार विधानसभा आमचुनाव के पहले वर्तमान सरकार एक बार फिर एससी/एसटी वर्ग के लोगों को अनेकों प्रलोभन/आश्वासन आदि देकर उनके वोट के जुगाड़ में है.

जबकि अपने पूरे शासनकाल में इन्होंने इन वर्गों की घोर अनदेखी/उपेक्षा की व कुंभकरण की नीन्द सोते रहे, जिसके हिसाब-किताब का अब समय”

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उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा- “अगर बिहार की वर्तमान सरकार को इन वर्गों के हितों की इतनी ही चिन्ता थी तो उनकी सरकार अबतक क्यों सोई रही?

जबकि इनको इस मामले में यूपी की बसपा सरकार से बहुत कुछ सीखना चाहिए था. अतः इन वर्गों से अनुरोध है कि वे श्री नीतीश सरकार के बहकावे में कतई न आयें.”

चुनाव से बिल्कुल पहले सीएम नीतीश कुमार ने बड़ा दलित कार्ड खेलते हुए फैसला किया है कि राज्य में अगर किसी अनुसूचित जाति या जनजाति के परिवार के सदस्य की हत्या हो जाती है.

तो पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के प्रावधान किया गया है. सीएम नीतीश ने इस निर्देश को अमलीजामा पहनाने के लिए अधिकारियों को फौरन नियम बनाने का आदेश दिया.

इतना ही नहीं उन्होंने राज्य के DGP से इन दोनों वर्गों के लंबित मामलों का 15 दिनों के अंदर निपटारे का भी आदेश दिया है.

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