कोरोना वायरस की वजह से लगाए गए लॉकडाउन (तालाबंदी) से पैदा हुआ संकट सबसे ज्यादा मजदूर वर्ग के लिए आफत बन रहा है. पिछली बार लॉकडाउन की घोषणा के बाद कई राज्यों से प्रवासी मजदूरों के पलायन की खबरें सामने आई थीं जिसमें गुजरात भी शामिल था. हालांकि केंद्र और राज्य सरकारों ने मजदूरों को दिलासा दिलाया था कि सब कुछ ठीक हो जाएगा.
गुजरात में भी भारी संख्या में प्रवासी मजदूर रहते हैं. खासतौर से अहमदाबाद और सूरत में उत्तर भारतीय और उड़िया मजदूरों की संख्या अच्छी-खासी है. पिछले दिनों गुजरात एक्सक्लूसिव ने सूरत और अहमदाबाद से भारी संख्या में प्रवासी मजदूरों के पैदल ही अपने गृहराज्यों और गृहनगरों के लिए निकलने की खबर दी थी.
हालांकि बाद में राज्य की रूपाणी सरकार ने मजदूरों को दिलाया दिलाया था कि उन्हें किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होगी, इसलिए वे पलायन ना करें. यह सिलसिला कुछ दिनों तक थमा रहा लेकिन पीएम मोदी द्वारा तीन मई तक लॉकडाउन बढ़ाए जाने के फैसले ने एकबार फिर प्रवासी मजदूरों को सड़क पर ला खड़ा किया. खबरों के मुताबिक राज्य के सूरत और अहमदाबाद जिलों से कई प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं.
समझा जा सकता है कि इनके लिए अपना और अपने परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा होगा. ऐसे में ये लॉकडाउन के नियमों को ताक पर रखकर अपने-अपने घरों के लिए निकलने के लिए मजबूर हैं. दर्जनों की संख्या में मजदूर पीएम मोदी के फैसले के बाद पैदल अपनी घरों के लिए निकल चुके हैं. ऐसे में रूपाणी सरकार के लिए एकबार फिर स्थिति पर काबू पाना मुश्किल नजर आ रहा है.
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