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मोदी सरकार ने वापस लिया पूरी सैलरी देने का निर्देश, उद्योग जगत को राहत लेकिन कामगारों को झटका

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देश में जारी कोरोना संकट के बीच मोदी सरकार ने लॉकडाउन के कारण दफ्तार या कंपनी बंद होने की स्थिति में भी कर्मचारियों का पूरा वेतन देने के निर्देश जारी किए थे लेकिन अब सरकार ने अपना फैसला बदल दिया है. मोदी सरकार ने लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरा वेतन देने का अपना पुराना निर्देश वापस ले लिया है. अब कंपनियां इसके लिए बाध्य नहीं होंगी कि लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरी सैलरी दें.

सरकार के इस फैसले से जहां कंपनियों और उद्योग जगत को राहत मिली है तो वहीं  कामगारों को झटका लगा है. गौरतलब है कि गृह सचिव अजय भल्ला ने लॉकडाउन लगाए जाने के कुछ ही दिन बाद 29 मार्च को जारी दिशानिर्देश में सभी कंपनियों व अन्य नियोक्ताओं को कहा था कि वे प्रतिष्ठान बंद रहने की स्थिति में भी महीना पूरा होने पर सभी कर्मचारियों को बिना किसी कटौती के पूरा वेतन दें.

देश भर में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है जो 31 मई तक जारी रहेगा. गृह मंत्रालय ने तब यह भी निर्देश दिया था कि उन मकान मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जो लॉकडाउन के दौरान किराया न दे पाने वाले स्टूडेंट्स या प्रवासी कामगारों को मकान खाली करने के लिए दबाव बना रहे हों.

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने एक आदेश में कहा था कि सरकार लॉकडाउन के दौरान पूरी सैलरी न दे पाने वाली कंपनियों पर किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई न करें. कर्नाटक की कंपनी फिकस पैक्स प्राइवेट लिमिटेड ने सरकार के इस आदेश को चुनौती दी थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया.

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