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विजयादशमी पर बोले मोहन भागवत, बढ़ती जनसंख्या देश और दुनिया के लिए चुनौती

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विजयादशमी के मौके पर नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने वर्षों से चली आई शस्त्र पूजा में हिस्सा लिया. शस्त्र पूजा के बाद मोहन भागवत ने संघ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कोरोना महामारी, नागरिकता संशोधन कानून, चीन के साथ जारी सीमा विवाद और राम मंदिर निर्माण जैसे अहम मुद्दों पर बात की.

मोहन भागवत ने संघ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते कहा कि जिस शत्रुता और अलगाव के कारण विभाजन हुआ उसकी पुनरावृत्ति नहीं करनी है. पुनरावृत्ति टालने के लिए, खोई हुई हमारे अखंडता और एकात्मता को वापस लाने के लिए उस इतिहास को सबको जानना चाहिए. खासकर नई पीढ़ी को जानना चाहिए. खोया हुआ वापस आ सके खोए हुए बिछड़े हुए वापस गले लगा सकें.

RSS प्रमुख ने आगे कहा कि जिस दिन हम स्वतंत्र हुए उस दिन स्वतंत्रता के आनंद के साथ हमने एक अत्यंत दुर्धर वेदना भी अपने मन में अनुभव की वो दर्द अभी तक गया नहीं है. अपने देश का विभाजन हुआ, अत्यंत दुखद इतिहास है वो, परन्तु उस इतिहास के सत्य का सामना करना चाहिए, उसे जानना चाहिए.

मोहन भागवत ने इस मौके पर कहा कि कोरोना जा रहा है, चला जाएगा. अपनी सुधरी हुई आदतों को फिर से नहीं बिगाड़ना इसका हमें ध्यान रखना पड़ेगा. हमको अपनी आदतें नहीं बदलनी चाहिए. कोरोना काल में जो विवाह हुए हैं, वे कम खर्चे में हुए हैं. मंदिरों की ज़मीन बेची गई. मंदिरों की संपत्ति हड़पी जाती है, जिन लोगों को हिंदू देवी देवताओं पर श्रद्धा नहीं है, उनके लिए हिंदू मंदिरों की संपत्ति का इस्तेमाल किया जाता है. हिंदुओं को भी आवश्यकता है, वह संपत्ति उनपर नहीं लगाई जाती है.

संघ प्रमुख ने कहा कि सीमा पार से अवैध घुसपैठ पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जाए. राष्ट्रीय नागरिक पत्रिका का निर्माण कर इन घुसपैठियों को नागरिकता के अधिकारों से वंचित किया जाए. जनसंख्या नीति पर एक बार फिर से विचार किया जाना चाहिए. 50 साल आगे तक का विचार कर नीति बनानी चाहिए और उस नीति को सभी पर समान रूप से लागू करना चाहिए, जनसंख्या का असंतुलन देश और दुनिया में एक समस्या बन रही है.

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