हितेश चावड़ा, नडियाद: राजकोट से ग्वालियर जाने वाले मजदूर नाडियाद से थोड़ा आगे फंस गए हैं. कोरोना के बढ़ते आतंक को मद्देनजर रखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है. जिसकी वजह से गुजरात से जा रहे प्रवासी मजदूरों का संकट ओर बढ़ गया है.इतना ही नहीं इस संकट के बीच सरकार की ओर से होने वाली अव्यवस्था भी साफ दिखाई दे रहा है.
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाया गया है. परिणामस्वरूप सैकड़ों प्रवासी मजदूर अपनी मातृभूमि ओर पैदल निकल रहे हैं. लेकिन अब इन प्रवासी मजदूरों को जानपर खेलकर जाना पड़ रहा है. कल महाराष्ट्र होने वाली दर्दनाक दुर्घटना में सोलह श्रमिक मारे गए. इतना ही नहीं सरकारों की इस जाल में फंसे श्रमिक अब चिलचिलाती गर्मी और प्रचंड धूप में भी पैदल चलने को मजबूर हो रहे हैं.
राजकोट से चार दिन पहले कुछ प्रवासी मजदूर पैदल निकले थे. मध्य प्रदेश के ग्वालियर जाने के लिए रास्ते में इन श्रमिकों ने वाहनों की मदद लेकर नडियाद तक पहुंचे लेकिन मध्य की सीमा सील होने की वजह से ये लोग आगे नहीं जा पा रहे हैं. राजकोट में सालों से कलर का काम कर रहे मजदूरों का तालाबंदी की वजह से काम बंद होने के कारण घर के लिए निकल हैं लेकिन अब ये लोग जिस स्थिति में पहुंचे उसे देखकर लगता है कि ना ये घर के रहे ना ही घाट के.
इस संबंध में दिनेश कुमार नामक एक प्रवासी मजदूर ने कहा, “हमारे पास वहां तालाबंदी की वजह से काम नहीं था, इसलिए हमने राजकोट को पैदल ही निकले का फैसला किया. लेकिन अब बीच रास्ते में आकर हम लोग फंस गए हैं. ना कोई वाहन मिल रहा है,ना ही सुविधा इसलिए हम दुविधा में हैं कि क्या करें और कहां जाएं.
सलूण गाँव से गुजरने वाली मुख्य सड़क से गुजरने वाले मजदूरों को रहने और खाने का इंतजाम कमलेश पटेल नाम के एक व्यक्ति गाँव के सरपंच के समन्वय से किया है. गुजरात में और देश के अन्य हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों को स्थिति को लेकर केंद्र और राज्य सरकार जिस तरीके से लचर रवैया दिखा रही हैं उससे साफ हो जाता है इनको मजदूरों से कुछ नहीं लेना देना और शायद इसीलिए मजदूर अपनी किस्मत को लेकर धूम में ट्रेन चलने के बाद भी पैदल जाने को मजबूर हो रहे हैं.
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