मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार माफिया पर नकेल कसने की पूरजोर कोशिश कर रही है. अभी तक भू माफिया और मिलावट माफिया पर कार्रवाई कर चुकी सरकार की नज़र में अब वो अस्पताल और नर्सिंग होम्स हैं, जहां सिर्फ मरीज़ों को लूटने के लिए बिना ज़रूरत ऑपरेशन किए जा रहे हैं. खासतौर से जहां महिलाओं के सिजेरियन ऑपरेशन हो रहे हैं. सरकार उन नर्सिंग होम्स की कुंडली तैयार कर रही है, जहां कुछ ज़्यादा ही मरीज़ों के ऑपरेशन किए जा रहे हैं.
सरकार का मिशन प्रदेश को माफिया मुक्त बनाने का है. इसके लिए अलग-अलग क्षेत्रों के माफिया पर सरकार अपनी नज़र रख रही है. पहले तो सरकार ने खाद्य पदार्थों के मिलावट खोरों पर लगाम कस चुकी है और फिर उसने फिर ड्रग माफिया पर शिकंजा कसा. नकली कॉस्मेटिक के सप्लायर्स पर भी सरकार ने कानूनी कार्रवाई की. और अब स्वास्थ्य विभाग की नज़र उन हेल्थ लुटेरों पर है, जो मरीज़ों से लंबा-चौड़ा बिल वसूलने के लिए ज़रूरत ना होने पर भी उनका ऑपरेशन कर देते हैं.
सबसे ज़्यादा शिकायत प्राइवेट हॉस्पिटल्स और नर्सिंग होम्स से मिल रही है. इसलिए स्वास्थ्य विभाग इसकी मॉनिटरिंग कर रहा है. जब ऑपरेशनों के डाटा को देखा गया तो ये बात सामने आई कि प्राइवेट नर्सिंग होम्स में डिलीवरी के लिए सबसे ज़्यादा सिजेरियन ऑपरेशन किए जा रहे हैं. ये सिलसिला बरसों से चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग की सर्वे रिपोर्ट में ये बात सामने आई कि एक साल में प्रदेश के प्राइवेट हॉस्पिटल में कुल 70 लाख डिलिवरी हुई. इनमें से 9 लाख महिलाओं की डिलीवरी सिजेरियन ऑपरेशन से कर दी गई. जबकि उनकी नॉर्मल डिलिवरी भी हो सकती थी. प्राइवेट हॉस्पिटल में ऐसे 40.9 फीसदी सिजेरियन ऑपरेशन बिना ज़रूरत के किए गए जबकि सरकारी अस्पतालों में ये आंकड़ा 11.9 फीसदी रहा. प्राइवेट हॉस्पिटल्स एक नॉर्मल डिलिवरी के लिए 10 से 15 हज़ार रुपए ले रहे हैं. लेकिन सिजेरियन डिलीवरी के लिए 25 से 40 हज़ार रुपए लगते हैं.