अफगानिस्तान में सोमवार को धमाकों के बीच अशरफ गनी ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली. इसी बीच उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया है जिससे अफगानिस्तान में राजनीतिक संटक पैदा हो गया है. अब्दुल्ला अब्दुल्ला अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हैं. इसी बीच अमेरिका के विशेष राजदूत जालम खलीलजाद दोनो पक्षों में गतिरोध मिटाने में जुटे हैं.
18 फरवरी को घोषित हुए चुनाव परिणामों में अशरफ गनी को जीत हासिल हुई है, लेकिन अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने मतगणना में धांधली का आरोप लगाया है. वहीं, अशरफ गनी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान लगातार कई धमाके हुए. इससे भगदड़ मच गई. हालांकि, इससे किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.
इस राजनीतिक विवाद की शुरुआत रविवार से ही हो गई थी. सोमवार सुबह काबुल के राष्ट्रपति भवन में अशरफ गनी का शपथ ग्रहण कार्यक्रम होना था. इसी बीच, अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी शपथ लेने का ऐलान कर दिया जिसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को निमंत्रण भी भेजे थे. विवाद होने पर जालम खलीलजाद ने दोनों पक्षों से बातचीत कर विवाद समाप्त करने की कोशिश की. इसके चलते सोमवार सुबह शपथ ग्रहण कार्यक्रम टाल दिया गया था. दोपहर बाद तक जब कोई हल नहीं निकला तो अशरफ गनी ने राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली. इसके तुरंत बाद ही अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया.
#WATCH Afghanistan: Multiple explosions reported during President #AshrafGhani‘s oath taking ceremony in Kabul. pic.twitter.com/8N7aYrdAuS
— ANI (@ANI) March 9, 2020
नए राजनीतिक संकट से अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया को नुकसान पहुंच सकता है. अफगान सरकार की 10 मार्च को नॉर्वे में तालिबान के साथ शांति वार्ता होनी है. ऐसे में अगर समाधान नहीं निकला तो वार्ता में मुश्किलें आ सकती हैं. तालिबान ने कहा है कि दो सरकारों से वार्ता होना संभव नहीं है, जिसकी वजह से हालात सामान्य नहीं हो पाएंगे.
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