भारतीय जनता पार्टी पर अक्सर राजनीतिक ध्रुवीकरण के आरोप लगते रहते हैं, उन पर सांप्रदायिकता के आरोप भी लगते हैं. इन आरोपों के लगने के पीछे बीजेपी के ही कुछ नेताओं का हाथ है. ऐसे में नया मामला सामने आया है कर्नाटक से जहां बीजेपी के विधायक ने कुछ कहा, उससे पार्टी पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. भाजपा विधायक रेणुकाचार्य ने विवादास्पद बयान देते हुए मुसलमानों को चेतावनी दी है कि उनके क्षेत्रों में कोई भी विकास कार्य नहीं किया जाएगा क्योंकि वे भाजपा को वोट नहीं देते. इतना ही नहीं मुस्लिमों पर देशभक्त नहीं होने का भी आरोप लगाया. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि विधायक निधि के पैसे का इस्तेमाल मुस्लिम इलाकों में नहीं बल्कि अपने इलाको को भगवामय करने पर खर्च करुंगा.
रेणुकाचार्य ने नागरिकता संशोधन क़ानून के समर्थन में होने वाली एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मैं मुसलमानों को चेतावनी देता हूं. उनके क्षेत्रों में कोई विकास संबंधी गतिविधियां नहीं होंगी. वे देशभक्त नहीं हैं. वे भाजपा को वोट नहीं देते हैं. उन्होंने मुझे पिछले विधानसभा चुनाव में वोट नहीं दिया.
उन्होंने यह भी कहा कि अगले चुनाव में मैं उनसे वोट मांगने नहीं जाउंगा. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य मस्जिदों में हथियार जमा करते हैं और राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान शून्य है. कर्नाटक में विपक्षी पार्टी के नेताओं पर आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने और उसके उद्देश्य पर सवाल उठाने के लिए हमला करते हुए, रेणुकाचार्य ने कहा कि आरएसएस एक देशभक्त संगठन है. अगर कोई भी सवाल करता है, तो मैं चुप नहीं रहूंगा. हम उन्हें सबक सिखाएंगे.
ऐसे में सवाल यह है कि नागरिकता क़ानून या किसी मुद्दे पर किसी रैली में शामिल होना या न होना लोगों की अपनी इच्छा पर निर्भर है. विधायक निधि या सांसद निधि से जो पैसे मिलते हैं, वे क्षेत्र के विकास के लिए होते हैं. ये पैसे जनता के ही होते हैं और जनता पर ही खर्च किए जाते हैं. ऐसे में कोई विधायक या सांसद यह कैसे कह सकता है कि वह समुदाय विशेष या इलाक़ा विशेष पर पैसे खर्च नहीं करेगा क्योंकि वे लोग उसका समर्थन नहीं करते. यह कहना अपने आप में ग़लत है. लेकिन अहम सवाल ये कि इस बयान के बाद क्या पार्टी ऐसे नेता पर कोई कार्रवाई करती है?