नागालैंड के मोन जिले के तिरु इलाके में सेना के एक ऑपरेशन में मारे गए आम नागरिक पर सियासत गर्मा गई है. लोकसभा में आज जानकारी देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सेना ने संदिग्धों की आशंका में फायरिंग की थी. वहीं इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने एएफएसपीए कानून को हटाने की मांग किया. वहीं इस मामले को लेकर कांग्रेस ने पीएम मोदी के नागालैंड में शांति बहाली के दावे पर सवाल खड़ा कर दिया है.
नागालैंड में हिंसा भड़कने के बाद आज मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो मोन जिले के तिरु इलाके का दौरा किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं, हमने घटना में प्रभावित लोगों को सहायता राशि दी है. हम केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि नागालैंड से AFSPA को हटाया जाए क्योंकि इस कानून ने हमारे देश की छवि धूमिल कर दी है.
नागालैंड की घटना पर लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने पलटवार करते हुए कहा कि पीड़ित परिवारों के लिए आर्थिक मुआवज़े का ऐलान जल्द से जल्द किया जाए. 2015 में PM ने नागालैंड के साथ शांति समझौते पर करार किया था, तब PM ने कहा था कि नागालैंड में अब शांति बहाल होगी. लेकिन इसका नतीजा क्या निकला.
सदन को जानकारी देते हुए अमित शाह ने आगे कहा कि शनिवार शाम को जब एक वाहन वहां पहुंचा, तो सेना ने उसे रुकने का इशारा किया गया लेकिन उसने रुकने के बजाय भागने की कोशिश की. ऐसे में सेना ने संदिग्ध होने की आशंका में फायरिंग की जिसमें 6 लोग मारे गए. शाह ने कहा कि ये निर्णय लिया गया है कि सभी एजेंसियों को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि विद्रोहियों के खिलाफ अभियान चलाते समय भविष्य में ऐसी किसी घटना की पुनरावृत्ति न हो. सरकार स्थिति पर सूक्ष्मता से नज़र रख रही है.
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