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#Column: नमस्ते ट्रम्प’ और नासमझ निर्णयों की वजह से गुजरात में बढ़ा कोरोना

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शंकर सिंह वाघेला: कोरोना वायरस की महामारी एक अंतरराष्ट्रीय साजिश हो ऐसी शंका व्यक्त की जा रही है. ऐसे सवाल तो उठते रहेंगे, लेकिन कोरोना के कारण देश और गुजरात में जो परिस्थिति उत्पन्न हुई है उसकी गंभीरता को समझने में सरकार ने देरी कर दी है. केंद्र और राज्य सरकारों ने किसी भी तरह के होमवर्क के बिना पूरे देश में लॉकडाउन लागू कर दिया. महामारी के कारण होने वाली जनहानि के अलावा लॉकडाउन के कारण होने वाली आर्थिक और सामाजिक क्षति की कल्पना एक गंभीर तस्वीर पेश करती है. अनियोजित लॉकडाउन ने देश को आर्थिक मंदी की ओर धकेल दिया है.

भाजपा हवा की दिशा में झुकने वाली पार्टी है, सामने की दिशा में तैरना उसका काम नहीं है. प्रशासन तो अधिकारी ही चलाते हैं लेकिन जब भी प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा जैसे भूकंप, बाढ़, सूखा, महामारी दंगा के वक्त बीजेपी की अक्षमता उजागर हो जाती है. ऐसे वक्त में साधारण लोग अक्षमता और अहंकार के कारण परेशानी में पड़ जाते हैं.

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बीमारी, दुश्मन और कर्ज को बढ़ने से पहले ही दबा देना चाहिए. इस बीमारी पर लगाम लगाने के लिए दिसंबर में कदम उठाए गए होते तो देश इतनी दयनीय स्थिति में नहीं होता. जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी देशों को दिसंबर में ही कोरोना वायरस की गंभीरता के बारे में चेतावनी दी थी तब देश और राज्य का स्वास्थ्य प्रशासन सो रहा था, उन्हे ये भी ख्याल नहीं था कि ये वायरस भारत में भी दस्तक दे सकता है.

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मौजूदा केंद्र सरकार और भाजपा की विचारधारा में लोगों के हित को अंतिम प्राथमिकता दी जाती है. इसलिए जनता को इस सरकार से कुछ भी नहीं मिलने वाला. अहमदाबाद की पुरानी वी.एस. अस्पताल की जगह पर नया एसवीपी अस्पताल बनवाया गया है. अस्पताल के उद्घाटन के समय सरकार ने ऐसा प्रचार किया था कि ये अस्पताल दुनिया की सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों में से एक है. लेकिन उसी अस्पताल के कर्मचारी बुनियादी सुविधाओं के लिए हड़ताल करते हैं. उनके पास पीपीई किट नहीं, वर्ग 3 और 4 के कर्मचारियों का सुध लेने वाला कोई नहीं, मरीज की देखभाल के लिए कर्मचारियों की कमी जैसे कई वजहों से कोरोना बढ़ रहा है.

राज्य की सभी सरकारी अस्पतालों की ऐसी हालत है. यहाँ कोरोना वायरस का प्रसार ‘नमस्ते ट्रम्प’ प्रोग्राम और सरकार की ‘अनाड़ी आयोजन’ की वजह से हुई है. आज लोग भय में जी रहे हैं. ऐसे वक्त में सरकार को योग्य प्रतिरोधी कदम उठाकर लोगों में बैठे डर को दूर करना चाहिए. इसके अलावा परीक्षण बढ़ाने में राज्य सरकार को क्या समस्या आ रही है ये भी एक बड़ा सवाल है.

(विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं. शंकरसिंह वाघेला “बापू” गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और 50 साल से राजनीति में सक्रिय हैं.)

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