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गुजरात में मूल निवासी बन रहे हैं शरणार्थी: जिग्नेश मेवाणी

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हितेश चावड़ा: पूरे देश को विकास के मॉडल का आईना दिखाने वाले गुजरात के बनासकांठा में दलित समुदाय के लोग पुलिस की सुरक्षा के बीच शादी की परंपरा को अदा करने को मजबूर हो रहे हैं. दलित युवक को शादी के दौरान घोड़ी पर चढ़ने से ऊंची जाति के लोगों ने रोका और इसके बाद उन लोगों ने पथराव भी किया अभी ये मामला शांत भी नहीं हुआ था कि गुजरात के दो गांव से दलित समुदाय के लोग अपनी जान बचाने के लिए पालयन कर रहे हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आगमन को लेकर 20 हजार से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को तैनात करने वाली गुजरात सरकार क्या गुजरात के दलित समुदाय के लोगों को सुरक्षा देने में निष्फल साबित हो रही है?

प्रांतिज तहसील के झाला की मुवाडी और सुरेंद्रनगर जिला के भराडा गांव से दलित समुदाय के लोग बड़ी तादाद में अपनी जान माल की सुरक्षा को लेकर गांव से पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं. मामला सामने आने के बाद निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने गुजरात सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मामले को लेकर जल्द ही गृह मंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा से मुलाकात कर लिखित में शिकायत की जाएगी.

प्रांतिज तहसील के झाला की मुवाडी में शादी के दौरान घोड़ी चढ़ने के मामला को लेकर विवाद हुआ था. जिसके बाद गांव के 60 से अधिक दलितों ने घर पर ताला लगाकर प्रांतीय पुलिस स्टेशन में इंसाफ की मांग को लेकर डेरा डाल दिया था. गांव के ऊंची जाति के लोगों ने दलितों का इस हद तक बहिष्कार किया कि किराने की दुकान से माल सामान देना तक बंद कर दिया. इतना ही नहीं गांव की पानी की टंकी को खाली करके पीने के पानी से भी दलित समुदाय के लोगों को वंचित किया गया. इस सौतेल रवैया से परेशान गांव के 60 से ज्यादा दलित परिवार अपने घर को छोड़कर पलायन करने को मजबूर हो रहा है. वह भी पुलिस की मौजूदगी में?

सुरेंद्रनगर में दलित पलायन को मजबूर

गुजरात सरकार में जब आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हुकूमत कर रहे थे, तभी से उन्होंने नारा दिया था सबका साथ सबका विकास लेकिन गुजरात में ये नारा कई बार खोखला साबित हो चुका है. हर दिन गुजरात के किसी ना किसी हिस्से से दलित समुदाय के लोगों पर ज्यादती की खबर सामने आ रही है. ऐसे हालात को देखने के बाद लगता है कि आज भी समाज में समरसता की जरुरत है. लेकिन अगर गुजरात में समरसता नहीं पैदा किया जा सकता तो फिर सुरक्षा तो जरुर दिया जा सकता है लेकिन राज्य सरकार दलित तबके लोगों को सुरक्षा देने में नाकाम साबित हो रही है जिसकी वजह से सुरेंद्रनगर जिला के भी 25 से ज्यादा दलित परिवार पलायन करने को मजबूर हो गया है. और अपने घर में ताला लगाकर गांव छोड़कर जा चुके हैं,

ऊंची जाति के लोगों ने घोड़ी पर चढ़ने से रोका

बनासकांठा के सरीपाडा गांव में आकाश कोटडिया नाम के दलित युवक की शादी थी. आकाश आर्मी के जवान हैं और मेरठ में तैनात हैं. वह कुछ दिन पहले छुट्टी लेकर शादी के लिए गांव आए थे. रविवार को उनकी शादी थी. गांव के ही कुछ ऊंची जाति के लोगों ने आकाश को शादी के दौरान घोड़ी पर चढ़ने से मना किया था.

इस सिलसिले में जानकारी देते हुए आकाश के बड़े भाई ने कहा, “पहले हमें ठाकोर कोली समुदाय के लोगों ने धमकी दी कि अगर दूल्हा (आकाश) घोड़ी पर चढ़ता है, तो उसे गांव से निकलने नहीं दिया जाएगा. धमकी के बाद हमने पुलिस से सुरक्षा की मांग की, तो पुलिस ने सुरक्षा के लिए छह से सात पुलिस कर्मियों को भेजा दिया. लेकिन जैसे ही कार्यक्रम शुरू हुआ, कुछ लोगों ने उन पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया. घटना के बाद पुलिस की कई टीम गांव पहुंचीं. और पुलिस के कड़े सुरक्षा के बीच बारात निकाली गई. इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए ठाकोर-कोली समुदाय के 11 लोगों के खिलाफ शिकायत भी दर्ज की है.

जिग्नेश मेवाणी ने सरकार पर सवाल उठाए

इस मामले को लेकर गुजरात एक्सक्लूजिव से बात करते हुए, निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा, “बार-बार शिकायत करने के बावजूद सरकार ग्रामीण इलाकों में रहने वाले अनुसूचित जाति के लोगों की रक्षा और सम्मान के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिसके परिणामस्वरूप ऐसी घटनाएं होती हैं. गरीबी और सामाजिक लाचारी का भोग बनने वाले लोगों का गुजरात सरकार के ऊपर से भरोसा खत्म हो चुका है. जिसकी वजह से वह अपनी जान और परिवार को बचाने के लिए पालयन कर रहे हैं. यह बहुत गंभीर मामला है, जब केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन कानून लाकर दूसरे देश के शरणार्थियों को भारत लाने का दावा कर रही है, ऐसे में देश के मूल नागरिकों को पलायन करना पड़ रहा है. इस तरह का अन्याय कैसे बर्दास्त किया जा सकता है? इस मामले को लेकर मैं आज राज्य के गृह मंत्री से मुलाकात कर लिखित में शिकायत करने वाला हूं.

https://archivehindi.gujaratexclsive.in/is-gujarat-able-to-endanger-the-lives-of-70-lakh-ahmedabad-gandhinagar-residents/