अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में एक फिर से गंभीर लापरवाही सामने आई है. सिविल अस्पताल में हुई इस घटना के बारे में सुनकर आप भी चौंक जाएंगे. शहर के निकोल इलाके में रहने वाले देवराम भाई का अचानक डायबिटीज लेवल बढ़ने के बाद 28 मई को उन्हें सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हालांकि अगले दिन 29 मई को अस्पताल की ओर से जानकारी दी गई कि कोरोना की वजह से उनकी मौत हो गई है. जिसके बाद परिवार के दो सदस्यों ने पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार किया. कोरोना की वजह से उनके परिवार के सदस्यों ने आखिरी बार मरीज का चेहरा भी नहीं देखा.
30 तारीख को अस्पताल से फोन आया कि आपका मरीज जिंदा है
30 मई को एक बार फिर से अस्पताल की ओर से परिवार के सदस्यों को फोन आया कि आपका मरीज जिंदा है. बात यहीं पर नहीं रुकती ये भी बताया जाता है कि मरीज की कोरोना रिपोर्ट नकारात्मक आई है और उन्हें सामान्य वार्ड में भर्ती कर दिया गया है. यह सुनकर परिवार के सदस्य आश्चर्यचकित हो गए कि अगर उनका मरीज अस्पताल में जिंदा है तो उन्होंने किसके शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया?
अहमदाबाद सिविल अस्पताल को लापरवाही के लिए जाना जाता है. एशिया का सबसे बड़ा अस्पताल होने की वजह से यहां लाखों रोगियों का इलाज किया जाता है. इलाज के दौरान हजारों लोग मर जाते हैं. सिर्फ कोरोना की वजह से सिविल के 400 से अधिक रोगियों को अपनी जान जा चुकी है. ऐसे में एक बार फिर से सिविल अस्पताल की लापरवाही का पर्दाफाश हुआ है. लेकिन इस सिलसिले में जब परिवार के लोगों ने ज्यादा जानकारी लेने की कोशिश की तो कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया गया.
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