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नेपाल के राष्ट्रीय सभा में भी विवादित नक्शे को मिली मंजूरी

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एक तरफ जहां भारत और चीन के बीच सीमा विवाद गहराता जा रहा है तो दूसरी तरफ नेपाल भी अलग ही रंग में नजर आ रहा है. खबर है कि नेपाल के उच्च सदन यानी राष्ट्रीय सभा ने भी देश के नए नक्शे को मंजूरी दे दी है जिसमें भारत के कुछ इलाकों को नेपाली भूभाग का हिस्सा बताया गया है. नेपाल की राष्ट्रीय सभा ने गुरुवार को करीब पूर्ण बहुमत के साथ इस प्रस्ताव को पारित किया.

ऐसे में अब अब राष्ट्रपति की मुहर के साथ नए नक्शे को नेपाल के राष्ट्र चिह्न में जगह दे दी जाएगी. भारत से बातचीत के प्रस्ताव को नजरअंदाज और अनसुना कर सत्तारूढ़ केपी शर्मा ओली सरकार ने इस बाबत प्रस्ताव को पहले प्रतिनिधि सभा और फिर राष्ट्रीय सभा में पारित करवाया. राष्ट्रीय सभा के मतदान में इस प्रस्ताव के पक्ष में 57 मत हासिल हुए.

नेपाल के इस नए नक्शे में कालापानी, लिंप्याधुरा और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताया गया है जबकि भारत नए नेपाली नक्शे को खारिज कर चुका है. उसका कहना है कि नेपाल सरकार के दावों में न तो ऐतिहासिक साक्ष्य हैं और न ही उनका कोई तथ्यात्मक आधार. सूत्रों के मुताबिक नेपाल की ओली सरकार अपने राजनीतिक औजार की तरह इस नक्शे का इस्तेमाल कर रही है. लंबित सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत की तरफ से दिए गए बातचीत के प्रस्ताव की अनदेखी कर संविधान संशोधन के पीछे राजनीतिक फायदे की मंशा बताई जा रही है. हालांकि भारत अब भी अपने करीबी पड़ोसी नेपाल के साथ सहयोग और संवाद के लिए तैयार है.

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