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बड़ी कामयाबी: कोरोना के जोखिम वाले इलाकों का पता लगाने वाली तकनीक विकसित

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दुनियाभर में कई देश कोरोना महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित हैं. इन देशों में संक्रमण की गति इतनी तेज है कि कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और कन्टेंमेंट जोन का पता लगाना बहुत मुश्किल हो रहा है. ऐसे में शोधकर्ताओं ने उन स्थानों का पता लगाने के लिए एक नई और गैर आक्रामक रणनीति विकसित की है जो उन संभावित क्षेत्रों को इंगित करेंगे जहां से कोविड-19 के प्रसार का जोखिम अधिक होगा. इसके लिए वे मौजूदा सेलुलर (मोबाइल) वायरलैस नेटवर्कों से डेटा का प्रयोग करेंगे. इससे कोरोना के प्रसार को बड़े पैमाने पर फैलने से रोकने में कामयाबी मिल सकती है.

अमेरिका की कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के एडविन चोंग समेत अन्य वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह नई तकनीक सबसे अधिक भीड़-भाड़ वाले स्थानों की पहचान में मदद करेगा जहां वायरस के ऐसे वाहकों के कई स्वस्थ लोगों से करीब से संपर्क में आने की आशंका बहुत ज्यादा होगी जिनमें रोग के लक्षण नजर नहीं आते हैं. इस तकनीक से उन क्षेत्रों को ऐसे परिदृश्यों से बचने में मदद मिलेगी जहां वायरस किसी देश के घनी आबादी वाले इलाकों में विनाशकारी प्रभाव डालता है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रणनीति का इस्तेमाल कर वे यह समझने की उम्मीद करते हैं कि मोबाइल उपयोगकर्ता किसी क्षेत्र में कैसे आवागमन करते हैं और जुटते हैं. इसके लिए वे हैंडओवर और सेल (पुन:) चयन प्रोटोकॉल का उपयोग करते हैं. इस तकनीक का संपूर्ण ब्योरा ‘आईईईई ओपन जर्नल ऑफ इंजीनियरिंग इन मेडिसिन एंड बायोलॉजी’ में दिया गया है.

मालूम हो कि पूरी दुनिया में कोरोना का आतंक अभी भी फैला हुआ है. अब तक पूरे विश्व में एक करोड़ दो लाख से भी ज्यादा कोरोना के मामले सामने आ चुके हैं. हालांकि इसमें से करीब 50 फीसदी मरीज यानी 51.5 लाख लोग रिकवर हो चुके हैं. लेकिन मौत का आंकड़ा चिंता का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है. अब तक पूरी दुनिया में कोरोना के कारण 5 लाख दो हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

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