निर्भया गैंगरेप मामले में दोषियों की सारी चाल भारत में विफल हो चुकी हैं लेकिन आए दिन वे खुद को फांसी के फंदे से बचाने के लिए नई-नई चाल ढूंढ निकाल रहे हैं. इस सिलसिले में दोषियों ने फांसी की सजा से बचने के लिए अब इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में याचिका दाखिल की है. इस याचिका में तीन दोषियों ने फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग की है. याचिका दाखिल करने वाले दोषियों में अक्षय, पवन और विनय ने यह याचिका दाखिल की है. सभी दोषियों को 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी होनी है.
दोषी मुकेश को नहीं मिला मौका
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश को झटका देते हुए कहा कि उसे फिर से क्यूरेटिव याचिका और दया याचिका दाखिल करने का मौका नहीं मिलेगा. जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने दोषी मुकेश की याचिका खारिज कर दी. मालूम हो कि मुकेश ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उसकी पूर्व वकील वृंदा ग्रोवर ने उस पर दबाव डाल कर क्यूरेटिव याचिका दाखिल करवाई थी. मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि उसे फिर से क्यूरेटिव याचिका और दया याचिका दाखिल करने का मौका दिया जाए. लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज करते हुए उसकी मांग को ठुकरा दिया.
मुकेश ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उसकी पूर्व वकील वृंदा ग्रोवर ने उस पर दबाव डालकर क्यूरेटिव याचिका दाखिल करवाई थी. मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि उसे फिर से क्यूरेटिव याचिका और दया याचिका दाखिल करने का मौका दिया जाए. एमएल शर्मा के माध्यम से दायर याचिका में मुकेश सिंह ने याचिका दायर करने की तारीख से तीन साल तक क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने की सीमा अवधि का दावा किया था.
पारिवार वालों ने मांगी है इच्छामृत्यु
निर्भया गैंगरेप एवं हत्या मामले में फांसी की सजा पाने वाले चार दोषियों के परिवारवालों ने रविवार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से इच्छामृत्यु की मांग की. निर्भया के परिवारवालों ने रविवार को पत्र राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी. इच्छामृत्यु मांगने वालों में दोषियों के बुजुर्ग माता-पिता, भाई-बहन और उनके बच्चे शामिल हैं.
दोषियों के परिवार ने हिन्दी में राष्ट्रपति को भेजे पत्र में लिखा है, हम आपसे (राष्ट्रपति) और पीड़िता के माता-पिता से अनुरोध करते हैं कि वे हमारे अनुरोध को स्वीकार करें और हमें इच्छामृत्यु की अनुमति दें. भविष्य में होने वाले किसी भी अपराध को रोकें, ताकि निर्भया जैसी दूसरी घटना न हो और अदालत को एक व्यक्ति के स्थान पर पांच लोगों को फांसी ना दी जाए.
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