हाल ही में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मजदूरों के हक और रोजगार के लिए माइग्रेशन कमीशन बनाने की घोषणा की थी. उस समय यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि यूपी के कामगारों से काम लेते वक्त दूसरे राज्यों को इजाजत लेनी पड़ेगी. हालांकि इस फैसले का लगातार विरोध किया गया जिसके बाद योगी सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा.
विवाद के बीच सरकार ने अपने कदम खींच लिए हैं और ऐसे किसी नियम को माइग्रेशन कमीशन में शामिल नहीं किया जाएगा. द प्रिंट की खबर के मुताबिक, योगी सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘ दूसरे राज्यों को उत्तर प्रदेश के कामगारों को अपने यहां काम या नौकरी पर रखने के लिए यूपी सरकार के अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी. सरकार की चिंता अपने निवासियों की सोशल सेक्योरिटी की है. इसके लिए श्रमिक कल्याण आयोग गठित किया जा रहा है. ये माइग्रेशन कमीशन होगा.’
अधिकारी ने आगे कहा, ‘इसके तहत वापस आए माइग्रेंट वर्कर्स की स्किल मैपिंग होगी. जो भी जिस फील्ड में स्किल्ड होगा उसे उससे संबंधित रोजगार दिलाने का प्रयास सरकार करेगी.’ सरकार के मुताबिक, यूपी में अब तक 25 साख से अधिक माइग्रेंट वर्कर वापस लौटे हैं. और अब सरकार सभी का डेटाबेस तैयार करने का काम कर रही है. दरअसल सीएम योगी आदित्यनाथ ने बीते रविवार को बयान दिया था कि उत्तर प्रदेश के अंदर जितनी भी मैनपावर हमारी है, इन सबकी स्किल मैपिंग के साथ-साथ कमिशन का गठन करके व्यापक स्तर पर रोज़गार उत्तर प्रदेश के अंदर उपलब्ध कराने की कार्रवाई सरकार कर रही है.’
योगी के इस बयान पर विपक्षी दलों ने घेरने की कोशिश की थी. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने यूपी के श्रमिकों से जुड़े सवाल पर जवाब देते हुए मंगलवार को कहा कि श्रमिक किसी की निजी संपत्ति नहीं है. राहुल बोले, ‘ उत्तर प्रदेश से कोई भी कहीं काम करने जा सकता है. वे चाहे महाराष्ट्र जाएं, दिल्ली आएं या पंजाब जाएं.’
https://archivehindi.gujaratexclsive.in/nepal-backtracks-after-strong-opposition-from-india-new-map-banned/