नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला पार्लियामेंट के सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए. कांग्रेस सहित 14 दल के सदस्यों ने संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित होने वाले संविधान दिवस समारोह का बहिष्कार कर रहे हैं. विरोधी दल से जुड़े लोगों का कहना है कि देश में संविधान बचा ही नहीं है. वहीं भाजपा ने विरोध करने वाले लोगों पर हमला बोलते हुए कहा कि इन लोगों को संविधान में विश्वास नहीं है.
शिवसेना नेता संजय राउत संविधान दिवस समारोह का बहिष्कार करते हुए कहा कि संविधान का देश में महत्व है. डॉ. बाबा साहब अंबेडकर के नेतृत्व में जनता को अधिकार दिए गए लेकिन आज राज्य, जनता को कुचल दिया जाता है, तो संविधान का मतलब क्या होता है? कहां है संविधान? हमारी सरकार बहुमत में है फिर भी हमारे पीछे जांच एंजेसी, कभी राजभवन से लग जाते हैं.
वहीं इस मामले को लेकर BSP प्रमुख मायावती ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें इस बात की गहन समीक्षा करें कि क्या ये पार्टियां संविधान का सही से पालन कर रही हैं? अर्थात नहीं कर रही हैं इसलिए हमारी पार्टी ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संविधान दिवस मनाने के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने का फ़ैसला किया है. SC/ST, OBC वर्गों का ज़्यादातर विभागों में आरक्षण का कोटा अधूरा पड़ा है. इनके लिए निजी क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गई है. केंद्र और राज्य सरकारे इस मामले में क़ानून बनाने के लिए तैयार नहीं है. ऐसी सरकारों को संविधान दिवस मनाने का अधिकार नहीं है.
विपक्षी दलों द्वारा सेंट्रल हॉल कार्यक्रम का विरोध करने पर केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने पलटवार करते हुए कहा कि आज देश संविधान दिवस मना रहा है, लेकिन विपक्ष इसका विरोध कर रहा है. मुझे लगता है उन्हें संविधान में विश्वास नहीं है. जो लोग इमरजेंसी लागू कर सकते हैं उनसे संविधान में विश्वास रखने की उम्मीद नहीं की जा सकती. विपक्षी दल आज इसका विरोध करके अपनी मानसिकता दिखा रहा है.
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