फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान की उम्मीदों को एक बड़ा झटका देते हुए उसे ग्रे लिस्ट में ही रखा है. यह फैसला तब लिया गया है जब एफएटीएफ के एक्शन प्लान के सभी 27 मापदंडों का पालन करने में पाकिस्तान असफल रहा है. इस तरह पाकिस्तान 2021 फरवरी तक वैश्विक एफएटीएफ (FATF) की “ग्रे सूची” में रहेगा.
आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन को रोकने एवं निगरानी करने वाली पेरिस से संचालित संस्था की 21 से 23 अक्टूबर के बीच डिजिटल माध्यम से वार्षिक बैठक हुई जिसमें 27 बिंदुओं की कार्य योजना की समीक्षा की गई.
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नाकाम हुई कोशिशें
पाकिस्तान एफएटीएफ (FATF) की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने की कोशिश में लगा हुआ है. हालांकि पाकिस्तान इसमें सफल होने में कामयाब नहीं हो पा रहा है. पाकिस्तान पर लगातार आतंकियों को पनाह दिए जाने के आरोप लग रहे हैं. साथ ही वह एफएटीएफ (FATF) के मापदंड़ों को पूरा करने में नाकाम रहा है.
ब्लैक लिस्ट से बचा पाकिस्तान
पाकिस्तान ने एफएटीएफ (FATF) की ग्रे सूची से निकलने की कोशिश के तहत करीब 15 कानूनों में संशोधन को मंजूरी लेनी थी. पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए 39 सदस्यीय एफएटीएफ में से 12 सदस्यों का समर्थन हासिल करना था. वहीं, ब्लैक लिस्ट में जाने से बचने के लिए 3 सदस्यों के समर्थन की जरूरत थी. पाकिस्तान का चीन, तुर्की और मलेशिया लगातार समर्थन करते रहे थे.
और बढ़ेंगी मुश्किलें
पाकिस्तान अब जब ग्रे सूची में बना रहेगा तो उसके लिए विश्व मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से वित्तीय मदद हासिल करना और मुश्किल हो जाएगा. इससे पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे देश की मुश्किलें और बढ़ेंगी.