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नागरिकता संशोधन बिल पास होने पर पूर्वोत्तर भारत में बढ़ा तनाव, लेकिन पीएम मोदी हैं खुश

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लोकसभा में देर रात नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने के बाद जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर खुशी का इजहार किया वहीं इस बिल के खिलाफ पूर्वोत्तर के कई हिस्सों में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है. मोदी ट्वीट करते हुए लिखा, ‘प्रसन्नता है कि लोकसभा ने एक समृद्ध और व्यापक चर्चा के बाद नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित कर दिया है. मैं विधेयक को समर्थन देने वाले विभिन्न सांसदों और दलों को धन्यवाद देता हूं. यह विधेयक भारत की समावेश करने, मानवीय मूल्यों में भरोसे की सदियों पुरानी प्रकृति के अनुरूप है,

इस बिल के पास होने पर जहां देश के प्रधानमंत्री खुशी का इजहार कर रहे हैं वहीं पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों में तनाव की स्थिति बढ़ गई है. नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन की ओर से मंगलवार को गुवाहाटी में 12 घंटे के बंद का आह्वान किया गया है. बंद के ऐलान के साथ ही सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. बंद को कामयाब इसलिए माना जा सकता है क्योंकि तकरीबन सभी दुकानों पर ताला लटक रहा है.

वहीं गुवाहाटी में भी बंद के आह्वान की वजह से बाजार पूरी तरह से बंद हैं, जिसके कारण आम जन-जीवन अस्‍त-व्‍यस्‍त हो गया है. कांग्रेस के साथ-साथ कई राजनीतिक दल भी इस बिल में मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता नहीं दिए जाने के प्रावधान का जबर्दस्त विरोध कर रहे हैं.

असम के धुबरी से लोकसभा एमपी बदरुद्दीन अजमल का कहना है, ‘नागरिकता संशोधन विधेयक हिंदू-मुस्लिम एकता के खिलाफ है. हम इस विधेयक को खारिज करते हैं, इस मुद्दे पर विपक्ष हमारे साथ है. हम इस विधेयक को पास नहीं होने देंगे.’

आसू ने किया उग्र प्रदर्शन

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने डिब्रूगढ़ में नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया. यहां पर स्टूडेंट्स यूनियन के सदस्यों की ओर से टायरों को आग के हवाले कर दिया गया. इसके बाद चारों ओर धुआं ही धुआं पसर गया.

बिल के विरोध की वजह

यह बिल पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित होने वाले छह गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों-हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी व -ईसाइयों को भारत की नागरिकता देने से जुड़ा है.
नागरिकता कानून 1955 में बदलाव किया जा रहा है. प्रस्ताव के मुताबिक अगर अल्पसंख्यक एक साल से लेकर 6 साल तक शरणार्थी बनकर भारत में रहें हैं -तो उन्हें भारत की नागरिकता दे दी जाएगी.
पहले 11 साल रहने पर नागरिकता मिलती थी. अवैध तरीके से प्रवेश करने के बावजूद नागरिकता पाने के हकदार रहेंगे.
इस बिल में नागरिकता मिलने की बेस लाइन 31 दिसंबर 2014 रखी गई है. यानी इस अवधि के बाद इन तीन देशों से आने वाले अल्पसंख्यकों को 6 साल तक भारत में रहने के बाद नागरिकता मिल जाएगी.
नॉर्थ ईस्ट के राज्यों के लिए छूट का अलग से प्रावधान किया गया है.