अहमदाबाद: गुजरात के अहमदाबाद में कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों को देखकर अहमदाबाद म्युनिसिपल कार्पोरेशन ने 7 से 15 मई तक राशन, सब्जी की दुकानों को बंद रखने का अचानक फैसला लिया था. इस फैसले को तुगलकी इसलिए कहा जाने लगा कि अचानक लोगों की भीड़ रास्तों पर दिखाई देने लगी और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उठते हुए दिखाई दी. मामले को लेकर गुजरात हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर इसे गैर कानूनी बताया है.
गुजरात हाईकोर्ट में दाखिल एक अर्जी में याचिकाकर्ता एडवोकेट हर्षित शाह व उनके अधिवक्ता नील लाखाणी ने अहमदाबाद महानगर पालिका के छह अप्रैल शाम को अचानक महानगर में सात से 15 मई तक राशन व सब्जी विक्रेताओं पर रोक लगाने के फैसले को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राण व दैहिक स्वतंत्रता का सीधे उल्लंघन बताया है.
शाह व लाखाणी ने अपनी याचिका में कहा कि केंद्र सरकार की लॉकडाउन की गाइडलाइन के अनुसार, शाम सात बजे दुकानें व सब्जी- दूध आदि की बिक्री बंद करनी होती है, लेकिन छह मई को शाम को पांच बजे अचानक महानगर पालिका के आयुक्त मुकेश कुमार ने एक फरमान जारी कर दिया जिससे हजारों लोग घर में आवश्यक राशन,सब्जी व वस्तुएं संग्रह करने को अहमदाबाद की सड़कों व बाजार में उतर आए। इससे लॉकडाउन व सोशल डिस्टेंस के उल्लंघन के साथ सुरक्षा नियमों की धज्जियां उड़ गईं.
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