देश में जारी कोरोना संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को नोटिस जारी कर पत्रकारों की छंटनी के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा है कि लॉकडाउन में बिजनेस की चुनौती से निपटने की क्या योजना है.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोरोना महामारी के दौरान कुछ मीडिया संस्थानों के कर्मचारियों को टर्मिनेशन नोटिस जारी करने, वेतन में कटौती और अवैतनिक अवकाश के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई की. नेशनल एलायंस ऑफ जर्नलिस्ट्स, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और बृहन्मुंबई यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स की ओर से दायर एक संयुक्त याचिका में कहा गया कि पत्रकारों की छंटनी एक “अमानवीय और अवैध व्यवहार” है.
बहस की शुरुआत करते हुए कोलिन गोंजाल्विस ने कहा कि सुनने में आ रहा है कि पत्रकारों की नौकरी खत्म की जा रही है. इसी मामले में जस्टिस कौल ने कहा कि अन्य संगठन भी कुछ ऐसी ही बात कर रहे हैं. अहम सवाल यह है कि अगर बिजनेस शुरू नहीं होगा तो लोग कैसे अपना निर्वहन करेंगे. इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है.
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