दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुजरात के कच्छ में गुरुद्वारा लखपत साहिब में गुरुपर्व समारोह में हिस्सा लिया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है. मुझे याद आ रहा है कि लखपत साहिब ने कैसे-कैसे झंझावातों को देखा है. एक समय यह स्थान दूसरे देशों में जाने और व्यापार के लिए प्रमुख स्थान होता था.
गुजरात के कच्छ में मौजूद गुरुद्वारा लखपत साहिब में आयोजित गुरुपरब समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 1998 के समुद्री तुफ़ान से इस जगह को, गुरुद्वारा लखपत साहिब को काफ़ी नुकसान हुआ और 2001 के भूकंप को गुरुद्वारा साहिब की 200 साल पुरानी इमारत को बड़ी क्षति पहुंचाई थी. लेकिन फिर भी गुरुद्वारा लखपत साहिब उसी गौरव के साथ खड़ा है. अभी हाल ही में हम अफगानिस्तान से स-सम्मान गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भारत लाने में सफल रहे हैं. कुछ महीने पहले जब मैं अमेरिका गया था, तो वहां अमेरिका ने भारत को 150 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं लौटाईं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि 2001 के भूकंप के बाद मुझे गुरु कृपा से इस पवित्र स्थान की सेवा करने का मौका मिला था. उस समय देश के हर हिस्सों से आए शिल्पियों ने इस स्थान के गौरव को संरक्षित किया. प्राचीन लेखन शैली से यहां की दीवारों पर गुरूवाणी अंकित की गई. इस प्रोजेक्ट को तब UNESCO ने सम्मानित भी किया था.
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने आगे कहा कि औरंगज़ेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबी कट्टरता से देश कैसे लड़ता है. इसी तरह दशम गुरु, गुरुगोबिन्द सिंह साहिब का जीवन भी पग-पग पर तप और बलिदान का एक जीता जागता उदाहरण है. अंग्रेजों के शासन में भी हमारे सिख भाइयों बहनों ने जिस वीरता के साथ देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया, हमारा आज़ादी का संग्राम, जलियांवाला बाग की वो धरती, आज भी उन बलिदानों की साक्षी है.
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