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PM मोदी ने बैंकिंग सेक्टर को दी नसीहत, कहा- दाता और याचक की भावना को छोड़ना होगा

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नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ फाइनैंशियल सर्विसेज की ओर ये आयोजित ‘निर्बाध ऋण प्रवाह और आर्थिक विकास के लिए तालमेल बनाने’ कार्यक्रम के दूसरे दिन समापन समारोह को संबोधित करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने बीते 6-7 वर्षों में बैंकिंग सेक्टर में जो सुधार किए, बैंकिंग सेक्टर का हर तरह से सपोर्ट किया, उस वजह से आज देश का बैंकिंग सेक्टर बहुत मज़बूत स्थिति में है.

PM मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हम IBC जैसे रिफॉर्म्स लाए, अनेक क़ानूनों में सुधार किए, ऋण वसूली न्यायाधिकरण को सशक्त किया. कोरोना काल में देश में एक समर्पित स्ट्रेस्ड एसेट मैनेजमेंट वर्टिकल का गठन भी किया गया. आज भारत के बैंकों की ताकत इतनी बढ़ चुकी है कि वो देश की इकॉनॉमी को नई ऊर्जा देने में, एक तेज़ी से आगे में, भारत को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. मैं इस चरण को भारत के बैंकिंग सेक्टर का एक बड़ा माइलस्टोन मानता हूं.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि आप स्वीकृति देने वाले हैं और सामने वाला आवेदक, आप दाता हैं और सामने वाला याचक, इस भावना को छोड़कर अब बैंकों को पार्टनरशिप का मॉडल अपनाना होगा. आप सभी PLI स्कीम के बारे में जानते हैं. इसमें सरकार भी कुछ ऐसा ही कर रही है. जो भारत के मैन्यूफैक्चर्स हैं, वो अपनी कपैसिटी कई गुना बढ़ाएं, खुद को ग्लोबल कंपनी में बदलें, इसके लिए सरकार उन्हें प्रॉडक्शन पर इंसेटिव दे रही है.

अपने संबोधन में PM मोदी ने आगे कहा कि बीते कुछ समय में देश में जो बड़े-बड़े परिवर्तन हुए हैं, जो योजनाएं लागू हुई हैं, उनसे जो देश में डेटा का बड़ा पूल क्रिएट हुआ है, उनका लाभ बैंकिंग सेक्टर को जरूर उठाना चाहिए. आज कॉर्पोरेट्स और स्टार्ट-अप जिस स्केल पर आगे आ रहे हैं, वो अभूतपूर्व है. ऐसे में भारत की आकांक्षाओं को मज़बूत करने का, फंड करने का, उनमें इन्वेस्ट करने का इससे बेहतरीन समय क्या हो सकता है.

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