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सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास, ये संविधान की भावना: PM मोदी

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दिल्ली: 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर दिल्ली के विज्ञान भवन में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज़ादी के आंदोलन में पैदा हुई संकल्प शक्ति को और अधिक मजबूत करने में उपनिवेशवादी मानसिकता बहुत बड़ी बाधा है, हमें इसे दूर करना ही होगा. इसके लिए हमारा सबसे बड़ा प्रेरणा स्त्रोत हमारा संविधान है. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि हमारे देश में भी ऐसी ही मानसिकता के चलते अपने ही देश के विकास में रोड़े अटकाए जाते हैं. कभी अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता के नाम पर तो कभी किसी और चीज़ का सहारा लेकर.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि हम पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले प्राप्त करने की ओर अग्रसर एकमात्र देश हैं. फिर भी ऐसे भारत पर पर्यावरण के नाम पर तरह-तरह के दबाव बनाए जाते हैं. यह सब उपनिवेशवादी मानसिकता का ही परिणाम है. जिन साधनों और मार्गों पर चलते हुए विकसित विश्व आज के मुकाम पर पहुंचा है, आज वही साधन और मार्ग विकासशील देशों के लिए बंद करने के प्रयास किए जाते हैं. पिछले दशकों में इसके लिए अलग-अलग शब्दावली का जाल रचा जाता है लेकिन उद्देश्य एक ही रहा विकासशील देशों की प्रगति को रोकना.

संविधान दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि आज गरीब से गरीब को भी क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर तक वही पहुंच मिल रही है, जो कभी साधन संपन्न लोगों तक सीमित थी. आज लद्दाख, अंडमान और नॉर्थ ईस्ट के विकास पर देश का उतना ही फोकस है, जितना दिल्ली और मुंबई जैसे मेट्रो शहरों पर है. सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास, ये संविधान की भावना का सबसे सशक्त प्रकटीकरण है. संविधान के लिए समर्पित सरकार, विकास में भेद नहीं करती और ये हमने करके दिखाया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि वो करोड़ों लोग जिनके घरों में शौचालय तक नहीं था, ​बिजली के अभाव में अंधेरे में अपनी ज़िंदगी बिता रहे थे उनकी तकलीफ समझकर उनका जीवन आसान बनाने के लिए खुद को खपा देना मैं संविधान का असली सम्मान मानता हूं. जो देश लगभग भारत के साथ आज़ाद हुए वो आज हमसे काफी आगे हैं, मतलब अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. हमारे संविधान में समावेश पर कितना जोर दिया गया है लेकिन आज़ादी के इतने दशकों बाद भी बड़ी संख्या में देश के लोग बहिष्करण (एक्सक्लूजन) को भोगने के लिए मजबूर रहे हैं.

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